Nallamala Forest: आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के दोरनाला गांव के पास स्थित नल्लामाला जंगल (Nallamala Forest) से एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक खोज सामने आई है।
चेंचू जनजाति के कुछ लोगों ने जंगल में घूमते समय एक प्राचीन नंदी मूर्ति और उसके पास एक बड़े पत्थर पर खुदे तेलुगु शिलालेख को देखा। उन्होंने तुरंत इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं, जो शीघ्र ही वायरल हो गईं।
इतिहासकारों ने की पुष्टि – यह शिलालेख 1518 ई. का है
इतिहास के प्रति रुचि रखने वाले टुरीमेला श्रीनिवास प्रसाद(Srinivas Prasad) ने इन तस्वीरों का गहन अध्ययन किया। उन्होंने अक्षरों की शैली के आधार पर इसे विजयनगर साम्राज्य के सम्राट श्री कृष्णदेवराय के काल का बताया। बाद में पुरातत्व विभाग ने भी पुष्टि की कि यह शिलालेख 1440 शक संवत, यानी 1518 ईस्वी का है।

भक्ति मार्ग पर एक अमूल्य धरोहर
यह शिलालेख पूरी तरह तेलुगु भाषा में खुदा हुआ है और श्रीशैलम की ओर जाने वाले श्रद्धालुओं की भक्ति परंपरा को दर्शाता है।
उन दिनों, जब भक्ति नल्लामाला के घने जंगलों से होकर श्री मल्लिकार्जुन स्वामी के दर्शन के लिए श्रीपर्वत जाते थे, तो उनके लिए पानी और विश्राम की सुविधाएं बहुत आवश्यक होती थीं।
एक श्रद्धालु वेलागा पार्वती नायिनी ने अपने गुरु इम्मादि लिंगैया के सम्मान में और अपने माता-पिता की स्मृति में एक कुआं खुदवाया था। उसी के पास यह शिलालेख अंकित किया गया था।
इसमें उल्लेख है कि कुएं के चारों ओर खाई बनाई गई थी और इसके निर्माण में स्थानीय संसाधनों का आवश्यक किया गया।
इतिहास को पुनर्जीवित करती चट्टान
इस शिलालेख में न केवल धार्मिक आस्था का प्रमाण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान का भी दस्तावेज है। यह हमें विजयनगर साम्राज्य के धार्मिक प्रशासन और लोगों की भक्ति भावना का परिचय देता है। इतने वर्षों तक अरण्य में छिपी रही यह चट्टान आज इतिहास का जीवंत दस्तावेज बन चुकी है।