उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश में विश्व के सबसे प्रतिष्ठित एवं गलत समझे जाने वाले सर्प किंग कोबरा (Ophiophagus hannah) के संरक्षण हेतु एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना आरंभ की गई है। यह परियोजना ईस्टर्न घाट्स वाइल्डलाइफ सोसाइटी द्वारा, आंध्र प्रदेश वन विभाग, मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट, अगुंबे रेनफॉरेस्ट रिसर्च स्टेशन तथा आंध्र विश्वविद्यालय के सहयोग से चलाई जा रही है। यह पहल वर्ष 2016 से जारी है।
📌 परियोजना के मुख्य उद्देश्य:
- किंग कोबरा की पारिस्थितिकी, व्यवहार एवं प्राकृतिक इतिहास का गहन अध्ययन
- किंग कोबरा को ‘अम्ब्रेला प्रजाति’ के रूप में प्रस्तुत कर ईस्टर्न घाट्स के वन क्षेत्रों एवं जैविक गलियारों का संरक्षण
- आधुनिक GIS तकनीक के माध्यम से निवास स्थानों और घोंसलों का मानचित्रण
- स्थानीय समुदायों में सर्प बचाव, प्राथमिक उपचार एवं संघर्ष समाधान का प्रशिक्षण
⚠️ प्रमुख चुनौतियाँ:
पर्यावरणविद् मूर्ति कांतिमहंती के अनुसार, ईस्टर्न घाट्स में अनेक प्रकार की पारिस्थितिक प्रणालियाँ जैसे कि पर्णपाती वन, आर्द्रभूमियाँ, घास के मैदान, तटीय क्षेत्र और नदियाँ मौजूद हैं। किंतु शहरीकरण, वनों की कटाई तथा मानवीय गतिविधियों के कारण इन पारिस्थितिक तंत्रों का विखंडन हो रहा है। साथ ही सर्पों के प्रति डर और गलत जानकारी के चलते मानव-सर्प संघर्ष बढ़ रहा है, जिससे किंग कोबरा की हत्या की घटनाएँ बढ़ गई हैं।
🧠 समुदाय आधारित जागरूकता प्रयास:
परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों को सर्पों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए प्रशिक्षित करना है। इसके अंतर्गत शिक्षा अभियान, सर्प बचाव प्रशिक्षण, और पहली सहायता की जानकारी दी जाएगी।
🌳 पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम:
इस परियोजना के माध्यम से किंग कोबरा को प्रतीक प्रजाति (Flagship Species) के रूप में प्रस्तुत कर एक समग्र पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण की दिशा में कार्य किया जा रहा है। यह पहल न केवल किंग कोबरा की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बल्कि ईस्टर्न घाट्स की जैव विविधता को भी भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखेगी।