Andhra Pradesh अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का केवल 5.6% ही उपयोग कर पाया है; विशेषज्ञ विकास के अवसरों पर प्रकाश डाल रहे हैं
भारत जैसे तेजी से विकसित हो रहे देश में नवीकरणीय ऊर्जा भविष्य की कुंजी मानी जा रही है। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि Andhra Pradesh, जो भारत के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों में से एक है, उसने अपनी कुल क्षमता का सिर्फ 5.6% ही उपयोग किया है। यह तथ्य हाल ही में एक ऊर्जा रिपोर्ट में सामने आया, जिससे राज्य की ऊर्जा नीतियों और क्रियान्वयन पर सवाल उठने लगे हैं।

राज्य की नवीकरणीय ऊर्जा स्थिति
- Andhra Pradesh की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता: 43 गीगावॉट (GW)
- अभी तक उपयोग में लाई गई क्षमता: सिर्फ 2.4 GW (5.6%)
- प्रमुख संसाधन:
- सौर ऊर्जा (Solar Energy)
- पवन ऊर्जा (Wind Energy)
- बायोमास और लघु जलविद्युत (Biomass & Small Hydro)
विशेषज्ञों की राय और सुझाव
ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि आंध्र प्रदेश के पास न केवल भौगोलिक लाभ है, बल्कि नीति स्तर पर थोड़े सुधार से यह राज्य देश के सबसे बड़े हरित ऊर्जा उत्पादक में बदल सकता है।
विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए कदम:
- नीति सुधार: निवेशकों के लिए आसान प्रक्रिया
- स्मार्ट ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास
- स्टोरेज टेक्नोलॉजी में निवेश
- पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को बढ़ावा देना
- स्थानीय स्तर पर स्किल डेवेलपमेंट कार्यक्रम
क्यों है नवीकरणीय ऊर्जा जरूरी?
- कोयले पर निर्भरता कम होगी
- पर्यावरण को नुकसान कम
- ऊर्जा की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी
- स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा होंगे
भौगोलिक लाभ और अवसर
- Andhra Pradesh का तटीय क्षेत्र पवन ऊर्जा के लिए उपयुक्त है
- रायलसीमा और अनंतपुर जैसे क्षेत्र सौर ऊर्जा के लिए अनुकूल
- कृषि अवशेषों से बायोमास ऊर्जा का भी बड़ा अवसर

क्या हैं मुख्य अड़चनें?
- नीति में अस्थिरता और बिचौलियों की दखल
- पुरानी ग्रिड प्रणाली और वितरण की समस्याएं
- निवेशकों को भरोसा ना होना
- स्थानीय जनसंख्या में जागरूकता की कमी
सरकार की योजनाएं क्या हैं?
- Andhra Pradesh सरकार ने 2030 तक 18 GW नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है
- ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाने की योजना पर भी काम चल रहा है
- सोलर पार्क्स और विंड फार्म्स के लिए भूमि चिन्हित की जा रही है
Andhra Pradesh के पास असीम संभावनाएं हैं, लेकिन उन्हें यथार्थ में बदलने के लिए नीति, निवेश और नवाचार की जरूरत है। अगर राज्य सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर काम करें, तो आंध्र प्रदेश भारत का हरित ऊर्जा राजधानी बन सकता है।