विशाखापट्नम पुलिस(Vishakapatnam Police) ने अंतराष्ट्रीय मानव तस्करी और साइबर क्राइम नेटवर्क का भंड़ाफोड़ किया है, कम्बोडिया-म्यांमार में अभी भी 500 भारतीय युवा फंसे है। जबकी 85 भारतीय युवा(Youth) को बचाया गया है। सूचना के अनुसार गिरोह फर्जी जॉब दिलाने की झांसा देकर युवावों को विदेश भेजकर उनसे ऑनलाइन धोखाधड़ी करता था। यह गिरोह फर्जी जॉब दिलाने का ऑफर देकर इन्हें दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों- कम्बोडियां, म्यांमार, थाईलैंड और लाओस के स्कैन सेंटर में भेज रहा था।
धोखाधड़ी रैकेट का खुलासा
इस रैकेट का खुलासा तब हुआ, जब विशाखापट्टनम एयरपोर्ट[wiki]पर पुलिस ने 14 जुलाई को दो एजेंट सुरेश और आदिलक्ष्मी को पकड़ा. ये लोग चार युवाओं को कंबोडिया भेजने की कोशिश में थे और डेटा एंट्री की नौकरी का झांसा दिया था.
मिली जानकारी के अनुसार इस नेटवर्क से अब तक 20 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया है। इनमे आरोपी सुरेश खुद पहले कम्बोडिया के एक साइबर क्राइम हब में काम कर चूका है। वहां से भारतीय युवावों को धोखाधड़ी और साइबर मामलों में फंसा रहा है।
इस रैकेट का मास्टर माइंड विजय कुमार उर्फ़ सनी बताया जा रहा है, जो तेलुगु भाषी युवावों को निशाना बना रहा था।
आंध्र प्रदेश के करीब 500 युवा साइबर फ्रॉड में फंसे
जांच में पता चला कि उत्तर आंध्र प्रदेश के करीब 500 युवा म्यांमार और कंबोडिया में इस साइबर फ्रॉड नेटवर्क में फंसे हुए हैं. इन्हें कैटफिशिंग और इन्वेस्टमेंट फ्रॉड जैसे स्कैम करवाए जा रहे हैं, जिनमें सोशल मीडिया के जरिए लोगों को झांसे में लेकर फेक स्टॉक, क्रिप्टोकरेंसी और में बदला जाता है और फिर सिंगापुर भेज दिया जाता है.
इस मानव तस्करी रैकेट से बचाए गए युवाओं और उनके परिवारों की मदद के लिए विशाखापट्टनम पुलिस ने एक हेल्पलाइन नंबर 79950 95799 जारी किया है. पुलिस अब तक नौ पुलिस अब तक नौ मानव तस्करी मामलों का भंडाफोड़ कर चुकी है. इस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के पीछे काम कर रहे चीनी साइबर क्राइम सिंडिकेट्स को भी बेनकाब करने में जुटी है.