Pilot Training India: अब भारत में पायलट बनने की राह केवल साइंस स्ट्रीम तक सीमित नहीं रहेगी। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने सिफारिश की है कि आर्ट्स और कॉमर्स के विद्यार्थी भी कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) के लिए पात्र माने जाएं।
यह निर्णय नागरिक उड्डयन प्रदेश में समावेशिता और मौके को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
अब कौन बन सकेगा पायलट?
अब तक पायलट बनने के लिए 12वीं में फिजिक्स और मैथ्स अनिवार्य थे। जो विद्यार्थी आर्ट्स या कॉमर्स से पढ़े होते थे, उन्हें ओपन स्कूल से दोबारा फिजिक्स और मैथ्स की इम्तिहान देनी पड़ती थी।
संभावित बदलाव:
- अब कोई भी 12वीं पास विद्यार्थी, चाहे वो आर्ट्स, कॉमर्स या साइंस से हो, CPL ट्रेनिंग के लिए प्रार्थना कर सकेगा।
- मेडिकल फिटनेस और अन्य निर्धारित टेस्ट पास करने होंगे।
- यह प्रस्ताव नागरिक उड्डयन मंत्रालय को भेजा गया है, जिसके बाद कानून मंत्रालय की अनुमत से नियम लागू होगा।
बदलाव क्यों जरूरी था?
1990 के दशक के मध्य से अब तक पायलट बनने के लिए साइंस स्ट्रीम की अनिवार्यता लागू थी। लेकिन कई वरिष्ठ पायलटों ने यह नियम अप्रासंगिक बताया।
उनका मानना है कि फ्लाइंग ट्रेनिंग के लिए आवश्यक गणित और भौतिकी की समझ, स्कूल की बेसिक कक्षाओं में ही मिल जाती है।
इस वजह से हजारों छात्र हर साल नेशनल ओपन स्कूल से फिजिक्स और मैथ्स की इम्तिहान देकर पात्रता हासिल करते रहे हैं, जिससे वक्त और पैसा दोनों खर्च होते हैं।

इससे छात्रों को क्या लाभ होगा?
- अब वैकल्पिक स्ट्रीम (आर्ट्स, कॉमर्स) के विद्यार्थी भी अपने पायलट बनने के सपने को साकार कर सकेंगे।
- इससे अवसरों की समानता बढ़ेगी।
- अविएशन सेक्टर को नए प्रतिभाशाली कैडेट्स मिल सकेंगे।
- महंगे कोर्स और दोबारा इम्तिहान देने की बाध्यता खत्म होगी।
अंतिम निर्णय कब होगा?
Pilot Training India: DGCA की सिफारिश को सबसे पहले नागरिक उड्डयन मंत्रालय की मंजूरी मिलनी होगी। इसके बाद कानून मंत्रालय इसे नोटिफाई करेगा। तभी यह नियम आधिकारिक रूप से लागू होगा।