मुंबई के कुख्यात गैंगस्टर से राजनेता बने अरुण गवली (Arun Gawli) को 3 सितंबर 2025 को नागपुर सेंट्रल जेल से रिहाई मिली। सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में शिवसेना (Shivsena) नगरसेवक कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में उन्हें जमानत दी। 76 वर्षीय गवली ने 17 साल से अधिक समय जेल में बिताया, और उनकी अपील अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है .
‘डैडी’ के नाम से था मशहूर
अरुण गवली, जिन्हें ‘डैडी’ के नाम से जाना जाता है, 1970 के दशक में मुंबई के अंडरवर्ल्ड में उभरे। बायकुला के दगड़ी चॉल में रहने वाले गवली ने राम नाइक और बाबू रेशम की अगुवाई वाली ‘बायकुला कंपनी’ से अपने अपराधी करियर की शुरुआत की। 1988 में नाइक की एक पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद गवली ने गैंग की कमान संभाली और दगड़ी चॉल को अपने अपराध साम्राज्य का गढ़ बनाया।
इस दौरान उनकी गैंग ने हत्या, उगाही और अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया, जिससे मुंबई में उनकी दहशत फैल गई। गवली का दाऊद इब्राहिम की डी-कंपनी के साथ भी भीषण गैंगवार रहा, जिसने कई खूनी संघर्षों को जन्म दिया।
एबीएस राजनीतिक दल की स्थापना
1997 में गवली ने अखिल भारतीय सेना (एबीएस) नामक राजनीतिक दल की स्थापना की और 2004 में चिंचपोकली से विधायक चुने गए। उनकी पत्नी आशा और बेटी गीता ने भी राजनीति में कदम रखा। हालांकि, 2006 में जामसांडेकर की हत्या के मामले में उनकी गिरफ्तारी ने उनके राजनीतिक करियर को झटका दिया। 2012 में मुंबई सत्र न्यायालय ने उन्हें आजीवन कारावास और 17 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
समयपूर्व रिहाई की मांग
गवली ने 2006 की सरकारी अधिसूचना का हवाला देते हुए समयपूर्व रिहाई की मांग की थी, जो 65 वर्ष से अधिक उम्र के कैदियों को रिहा करने की अनुमति देती है। हालांकि, महाराष्ट्र सरकार ने 2015 की अधिसूचना का उल्लेख करते हुए इसे खारिज कर दिया था, जिसमें एमसीओसीए (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम) के तहत दोषियों को इस लाभ से वंचित किया गया था।
अप्रैल 2024 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने गवली के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्थगित कर दिया। अंततः, अगस्त 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी उम्र और लंबी कैद को ध्यान में रखते हुए जमानत मंजूर की।
रिहाई के बाद गवली का उनके परिवार और समर्थकों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। दगड़ी चॉल, जो कभी उनका गढ़ था, अब पुनर्विकास के दौर से गुजर रहा है। गवली की रिहाई ने मुंबई के अंडरवर्ल्ड के इतिहास को फिर से चर्चा में ला दिया है।
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