Assam Border पर Communal Violence के बाद Shoot at Sight का आदेश बांग्लादेश सीमा से सटे इलाकों में बिगड़े हालात
Assam Border पर एक बार फिर सांप्रदायिक तनाव ने विकराल रूप ले लिया है। खासतौर पर बांग्लादेश से सटे दक्षिण असम के करीमगंज, कछार और हैलाकांडी ज़िलों में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि प्रशासन ने उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, Assam Border से लगे कुछ गांवों में धार्मिक झंडे को लेकर दो समुदायों के बीच झड़पें शुरू हुईं। स्थिति जल्द ही हिंसक हो गई और:
- दर्जनों दुकानों और घरों में तोड़फोड़ की गई
- आगजनी और पथराव की घटनाएं सामने आईं
- पुलिस और अर्धसैनिक बलों पर भी हमला हुआ

प्रशासन की सख्त कार्रवाई
हालात को देखते हुए असम सरकार ने:
- कर्फ्यू लागू किया है
- सेना और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है
- Assam Border के संवेदनशील इलाकों में ड्रोन से निगरानी हो रही है
- उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का स्पष्ट आदेश दिया गया है
राज्य के गृह मंत्री ने स्पष्ट कहा है कि “कानून तोड़ने वालों के लिए कोई जगह नहीं है।”
स्थानीय लोगों में डर और अनिश्चितता
Assam Border पर हो रही हिंसा से स्थानीय लोगों में भारी डर का माहौल है। कई लोगों ने रात में गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण ली है। स्कूल, बाजार और सरकारी कार्यालय बंद हैं।
लोगों की चिंताएं:
- कहीं यह तनाव बड़े स्तर पर न फैल जाए
- सरकारी मदद की कमी
- इंटरनेट और संचार व्यवस्था ठप
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
घटनाओं पर केंद्र सरकार की ओर से भी नजर रखी जा रही है। विपक्ष ने इसे सरकार की विफलता बताया है जबकि असम सरकार ने कहा है कि वे स्थिति को जल्द काबू में लाएंगे।

सरकार की प्राथमिकताएं:
- शांति बहाल करना
- हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी
- पीड़ितों को मुआवजा और पुनर्वास
क्या हो सकता है आगे?
Assam Border की यह घटना राज्य के सामाजिक ताने-बाने के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। प्रशासनिक सख्ती के बावजूद अगर हिंसा थमती नहीं है, तो:
- केंद्र को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया भी आ सकती है
- लंबी अवधि की अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है
Assam Border पर फैला सांप्रदायिक तनाव एक गंभीर चेतावनी है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में धार्मिक और सामाजिक संवेदनशीलता कितनी नाजुक स्थिति में है। देखना होगा कि प्रशासन की “Shoot at Sight” नीति से हालात सुधरते हैं या और बिगड़ते हैं।