चुनाव आयोग ने राहुल गांधी और कांग्रेस के उस आरोप को खारिज कर दिया है जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि महाराष्ट्र के चुनाव में मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी की गई थी।
नई दिल्लीः चुनाव आयोग ने विपक्ष के उस आरोप को खारिज कर दिया है जिसमें मतदाता सूची में हेराफेरी का आरोप लगाया था। चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मतदाता सूची में सुधार के लिए केवल 89 अपील की गईं। विपक्ष का आरोप बिल्कुल गलत है। विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोप बिना किसी तथ्य के थे।
चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव से पहले मतदाता सूची में नाम जोड़े और हटाए जाते हैं। अगर कोई व्यक्ति मर गया है या संबंधित जगह पर नहीं रहता है अथवा अपना निर्वाचन क्षेत्र बदल चुके हैं, तो ऐसे लोगों का नाम सूची से काटा जाता है। आयोग न्यायसंगत और पारदर्शी तरीके से नए पात्र मतदाताओं को सूची में जोड़ता है। डुप्लिकेट और मृत मतदाताओं को सूची से हटाया जाता है।
महाराष्ट्र में 89 अपील दर्ज
सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र में सिर्फ 89 अपील दर्ज की गईं। जबकि देश में 13,857,359 बूथ स्तरीय एजेंट (बीएलए) थे। मतदाता सूची में बदलाव के लिए केवल 89 अपील की गईं। सूत्रों ने कहा कि अगर कोई कहता है कि जिस मतदाता सूची के आधार पर मतदान हुआ है, वह सही नहीं है तो उन्होंने 1961 में सरकार द्वारा प्रस्तावित और 1961 में संसद द्वारा पारित चुनाव कानून को नहीं पढ़ा है।
अगले कुछ महीनों में बिहार और अन्य राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, इसलिए विपक्षी दलों द्वारा इस मुद्दे को और उठाने की संभावना है। लेकिन चुनाव आयोग, जिसने पहले भी कहा है कि ईपीआईसी नंबरों की नकल का मतलब “डुप्लीकेट/नकली मतदाता” नहीं है, अपनी बात पर कायम है और अपनी बात को साबित करने के लिए डेटा जारी किया है।
राहुल गांधी ने लगाया था गंभीर आरोप
बता दें कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मतदाता सूची पर विस्तृत चर्चा की अपील की थी। कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची में विसंगतियों का आरोप लगाया था। राहुल गांधी ने यह आरोप लगाया था कि 2019 से 2024 तक महाराष्ट्र की मतदाता सूची में करीब 30 लाख मतदाताओं को जोड़ा गया है।