हैदराबाद : केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी (Kishan Reddy) ने राष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन-2025 (National Ayurveda Conference) में कहा कि हमारे भारत के पास ऐसा चिकित्सा विज्ञान है, जिसकी दुनिया हज़ारों साल पहले कल्पना भी नहीं की थी। हैदराबाद में विश्व आयुर्वेद परिषद और तेलंगाना चैप्टर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि तीन दशकों से आयुर्वेद के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के साथ-साथ, इस प्राचीन भारतीय चिकित्सा विज्ञान को अगली पीढ़ियों तक पहुँचाने का जो प्रयास किया जा रहा है, वह सराहनीय है।
इंटरमीडिएट तक एक भी एलोपैथिक गोली नहीं ली केन्द्रीय मंत्री ने
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद केवल हमारा प्राचीन चिकित्सा विज्ञान ही नहीं है। भारतीय जीवन पद्धति में, हमें इसे आरोग्य, शारीरिक और मानसिक संतुलन से जुड़े एक संपूर्ण दर्शन के रूप में देखना चाहिए। इस अवसर पर, मैं आपको एक बात बता रहा हूँ, आयुर्वेद चिकित्सा के अलावा, मैंने इंटरमीडिएट तक एक भी एलोपैथिक गोली नहीं ली, यही आयुर्वेद की महानता है।
हजारों साल पुराना शल्य चिकित्सा का एक समृद्ध इतिहास
हज़ारों साल पहले, हमारे पास शल्य चिकित्सा, कृत्रिम अंग, विष विज्ञान, निदान परीक्षण और मोतियाबिंद की शल्य चिकित्सा का एक समृद्ध इतिहास रहा है। हम सभी को इस पर गर्व होना चाहिए। चरक, सुश्रुत और वाग्भट्ट जैसे अनेक महापुरुषों ने इस प्राचीन भारतीय विज्ञान के माध्यम से उस समय के समाज का उपचार किया। चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसी पुस्तकों ने चिकित्सा, शल्य चिकित्सा आदि के क्षेत्र में पूरे विश्व का मार्गदर्शन किया।
पिछली सरकारों ने इस महान चिकित्सा विज्ञान की उपेक्षा की
ऐसे महापुरुषों के शोध का ही परिणाम है कि भारत तब से चिकित्सा और उपचार के क्षेत्र में उच्च स्थान रखता आ रहा है। पिछली सरकारों ने इस महान चिकित्सा विज्ञान को और आगे बढ़ाने में ज़्यादा रुचि नहीं दिखाई। आयुर्वेद को एक पुरानी और बेकार दवा समझा जाता था। लेकिन, पिछले 11 वर्षों में, हमारे आयुर्वेद की क्षमता एक बार फिर दुनिया के सामने आई है। मोदी सरकार आयुर्वेद को उसका गौरवशाली अतीत लौटाने के लिए काम कर रही है।
मोदी सरकार ने 2014 में सबसे पहले बनाया आयुष मंत्रालय
मोदी सरकार ने 2014 में सबसे पहले आयुष मंत्रालय की स्थापना की। प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के 6 महीने के भीतर ही, मोदी जी ने आयुर्वेद और योग को उचित मान्यता दिलाने के लिए इस संबंध में ‘राजदूत’ की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने दुनिया के देशों को आश्वस्त किया और 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने की पहल की। 177 देश अभी भी आधिकारिक तौर पर ‘योग दिवस’ मना रहे हैं।
आयुर्वेद का क्या अर्थ है?
एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है, जिसका उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा के संतुलन से स्वास्थ्य को बनाए रखना है। यह केवल रोगों का उपचार नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक कला है।
आयुर्वेद के जनक कौन थे?
Ayurveda के जनक महर्षि चरक को माना जाता है। उन्होंने चरक संहिता नामक ग्रंथ की रचना की, जो आयुर्वेद का एक प्रमुख ग्रंथ है। इसके अलावा महर्षि सुश्रुत भी आयुर्वेद और शल्य चिकित्सा (सर्जरी) के क्षेत्र में अग्रणी माने जाते हैं।
आयुर्वेद की परिभाषा क्या है?
“हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम्।
मानं च तच्च यत्रोक्तमायुरेव विधीयते॥”
अर्थ: जो आयु (जीवन) के हित-अहित, सुख-दुख और जीवन की मात्रा (आयु) का ज्ञान कराता है, वही आयुर्वेद है।
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