इस्लामाबाद । अमेरिका ने एक गुप्त ऑपरेशन के तहत एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden) को मार गिराया था। उस वक्त आसिफ अली ज़रदारी (Asif Ali jardari) पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे। उनके करीबी सहयोगी और पूर्व प्रवक्ता फरहतुल्लाह बाबर ने अपनी किताब The Zardari Presidency: Now It Must Be Told में उस समय की पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति और नेताओं की प्रतिक्रिया का खुलासा किया है।
ऑपरेशन पर 50 पन्नों का विस्तृत विवरण
किताब में 50 पन्नों का विस्तृत विवरण सिर्फ एबटाबाद ऑपरेशन (Abotabad Operation) पर केंद्रित है। बाबर ने लिखा कि उस समय पाकिस्तान में सदमा, भ्रम और पैरालिसिस जैसी स्थिति थी। अमेरिका के कमांडो द्वारा ओसामा को निशाना बनाए जाने के समय, पीपीपी और पीएमएल-क्यू के बीच सत्ता-साझेदारी को लेकर खींचतान चल रही थी। बाबर ने लिखा, “देश के रक्षक इस घुसपैठ से पूरी तरह अनजान थे, जबकि नेता आपस में कुर्सी की लड़ाई में उलझे थे।”
राष्ट्रपति भवन में तत्काल बैठक
हमले के तुरंत बाद सुबह 6.30 बजे राष्ट्रपति ज़रदारी ने तत्काल बैठक बुलाई। इस बैठक में विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार और विदेश सचिव सलमान बशीर भी मौजूद थे। बाबर ने ज़रदारी से कहा कि यह या तो मिलीभगत थी या फिर घोर अक्षमता। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सेना और आईएसआई प्रमुखों के खिलाफ जांच और कार्रवाई होनी चाहिए।
आधिकारिक प्रतिक्रिया में 14 घंटे का अंतर
पाकिस्तान को अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया देने में 14 घंटे लग गए। बयान जारी हुआ कि “अमेरिका के साथ साझा की गई खुफिया जानकारी ने यह अभियान संभव बनाया।” बाबर ने इसे खोखला और अविश्वसनीय बताया और कहा कि यह केवल झूठ का जाल था।
सुधार का अवसर खो गया
बाबर के अनुसार, यह समय खुफिया तंत्र के सुधार का था, लेकिन राष्ट्रपति ज़रदारी ने केवल जांच आयोग बनाने की बात कही, और कोई जवाबदेही तय नहीं हुई। बाबर का निष्कर्ष है कि सिविलियन लीडरशिप ने हिम्मत खो दी, सेना ने सम्मान की रक्षा की और विदेशी ताकतें भी सुधार नहीं चाहती थीं। इस तरह, सुधार का महत्वपूर्ण मौका खो गया।
ओसामा बिन लादेन की हत्या की कहानी क्या है?
ओसामा बिन लादेन (10 मार्च 1957 – 2 मई 2011) सऊदी अरब में जन्मा एक उग्रवादी नेता था, जो अल-क़ायदा का संस्थापक और पहला जनरल अमीर था। वैचारिक रूप से एक अखिल-इस्लामी , बिन लादेन ने सोवियत संघ के विरुद्ध अफ़ग़ान मुजाहिदीन में भाग लिया और बोस्नियाई युद्ध के दौरान बोस्नियाई मुजाहिदीन का समर्थन किया।
ओसामा बिन लादेन की कब्र कहाँ है?
इसके बाद अमेरिकी सेना ने बिन लादेन के शव को अरब सागर में विमानवाहक पोत यूएसएस कार्ल विंसन तक पहुँचाया। धार्मिक अंतिम संस्कार के बाद, ओसामा बिन लादेन को समुद्र में ही दफ़ना दिया गया ताकि उसकी कब्र उसके अनुयायियों के लिए तीर्थस्थल न बन जाए।
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