5 से 7 अगस्त तक नई दिल्ली में डालेंगे डेरा
हैदराबाद। तेलंगाना मंत्रिमंडल ने फैसला किया है कि स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग (BC) के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी लेने के लिए पूरा मंत्रिमंडल, कांग्रेस विधायक (MLA), एमएलसी, सांसद और अन्य निर्वाचित प्रतिनिधि 5 से 7 अगस्त तक नई दिल्ली में डेरा डालेंगे। बीसी कल्याण मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने कहा कि राज्य सरकार विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को मंजूरी दिलाने के लिए राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगेगी।
30 सितंबर से पहले स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में अपने तीन दिवसीय प्रवास के दौरान तेलंगाना कांग्रेस के नेता अन्य दलों और गठबंधन सहयोगियों के सांसदों से भी संपर्क करेंगे ताकि बढ़ी हुई पिछड़ी जाति कोटा को लागू करने के लिए समर्थन जुटाया जा सके। उच्च न्यायालय ने हाल ही में राज्य सरकार को 30 सितंबर से पहले स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया है। वर्तमान में, निर्वाचित निकायों के अभाव में ग्राम पंचायतों को केंद्रीय निधि नहीं मिल रही है। मंत्री ने बताया कि इसी पृष्ठभूमि में, मंत्रिमंडल ने पिछड़ा वर्ग आरक्षण पर व्यापक चर्चा की।
बीसी आरक्षण को लागू करने के लिए सभी संभव उपायों पर किया जाएगा विचार
प्रभाकर ने सभी पिछड़ा वर्ग संगठनों और विभिन्न दलों के सामुदायिक नेताओं से नई दिल्ली में इस आंदोलन में शामिल होने का आग्रह किया। उन्होंने विधानसभा में विधेयक का समर्थन करने वाली भाजपा पर राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलने में बाधा डालने का भी आरोप लगाया। जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन के बारे में मंत्री ने कहा, ‘बीसी आरक्षण को लागू करने के लिए सभी संभव उपायों पर विचार किया जाएगा।’

पिछड़ा वर्ग को आरक्षण कब मिला था?
भारत में पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण की संवैधानिक मान्यता 1990 में मिली, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया। मंडल आयोग की स्थापना 1979 में बी. पी. मंडल की अध्यक्षता में की गई थी। इस आयोग ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण की अनुशंसा की थी, जो अंततः केंद्र सरकार की नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में लागू हुआ। इस निर्णय ने सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक नई परिभाषा प्रस्तुत की और प्रशासनिक ढांचे में समावेशिता को बल दिया।
पिछड़ी जाति का आरक्षण कितना है?
वर्तमान में केंद्र सरकार के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27% आरक्षण प्राप्त है। यह आरक्षण केंद्र सरकार की नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों, और अब कुछ हद तक आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (EWS) के साथ सामंजस्य बैठाते हुए लागू किया गया है। विभिन्न राज्य सरकारों ने भी अपने-अपने सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों के अनुसार अलग-अलग प्रतिशत में OBC आरक्षण लागू किया है—जैसे कि तमिलनाडु में कुल आरक्षण 69% तक चला जाता है। हालिया वर्षों में कई राज्यों ने ओबीसी में उप-वर्गीकरण (sub-categorization) की प्रक्रिया भी शुरू की है ताकि सबसे वंचित समूहों को समुचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
ओबीसी के जनक कौन थे?
OBC की सामाजिक अवधारणा के संस्थापक के रूप में महात्मा ज्योतिबा फुले और पेरियार ई.वी. रामासामी को ऐतिहासिक रूप से प्रमुख माना जाता है, जिन्होंने सामाजिक समानता और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष किया। किंतु प्रशासनिक दृष्टिकोण से यदि बात करें, तो बी. पी. मंडल को “ओबीसी आरक्षण के जनक” की उपाधि दी जाती है। उन्होंने मंडल आयोग की अध्यक्षता करते हुए वैज्ञानिक आधार पर पिछड़ेपन की परिभाषा गढ़ी और उसके समाधान के लिए विस्तृत अनुशंसाएँ प्रस्तुत कीं। उनका योगदान सामाजिक न्याय की दिशा में एक निर्णायक मोड़ माना जाता है।
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