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Balram Jayanthi: बलराम जयंती: हलषष्ठी व्रत

Dhanarekha
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Balram Jayanthi: बलराम जयंती: हलषष्ठी व्रत

संतान के सौभाग्य और आरोग्य का पर्व

Balram Jayanthi: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण(Lord Shri Krishna) के बड़े भाई बलराम जी की जयंती मनाई जाती है, जिसे हलषष्ठी या हलछठ के नाम से भी जाना जाता है। इस साल यह पर्व 14 अगस्त, गुरुवार को मनाया जाएगा। यह पर्व विशेष रूप से कृषक समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और ग्रामीण इलाकों में इसे बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है

ज्योतिषियों के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान विष्णु के प्रिय शेषनाग ने बलराम के रूप में अवतार लिया था। बलराम जी के मुख्य शस्त्र हल और मूसल हैं और कृषि से जुड़े कार्यों में उनकी भूमिका के कारण उन्हें हलधर भी कहा जाता है।

संतान की लंबी आयु के लिए व्रत का महत्व

Balram Jayanthi: हलछठ व्रत(Halchat vrat) का पालन मुख्य रूप से संतान के सौभाग्य और लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है। महिलाएं इस दिन अपनी संतान के अच्छे स्वास्थ्य और निरोगी जीवन के लिए उपवास रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि बलराम जी की पूजा करने से बच्चों को रोगों और संकटों से मुक्ति मिलती है।

बलराम को धैर्य, बल और नीति का प्रतीक माना जाता है। उनका जीवन एक आदर्श योद्धा और भाई के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने महाभारत के युद्ध में भीम और दुर्योधन जैसे योद्धाओं को गदा युद्ध की शिक्षा दी थी।

पूजा विधि और पंचामृत का महत्व

Balram Jayanthi

Balram Jayanthi: हलछठ के दिन बलराम और श्रीकृष्ण दोनों का अभिषेक करने की विशेष परंपरा है। इस दिन गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल को मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है, जिससे भगवान का अभिषेक किया जाता है।

अभिषेक के बाद भगवान को नए वस्त्र पहनाए जाते हैं, फूलों से उनका श्रृंगार किया जाता है और तुलसी, माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है। यह पूजा विधि बच्चों के जीवन में सुख-समृद्धि लाने वाली मानी जाती है।

हलछठ और जन्माष्टमी का संबंध

Balram Jayanthi: हलछठ के दो दिन बाद 16 अगस्त, शनिवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। जन्माष्टमी पर भी भक्त निर्जल व्रत रखते हैं और आधी रात को श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाते हैं।

इस दिन बाल गोपाल का पंचामृत से अभिषेक, उन्हें नए वस्त्र पहनाना और माखन-मिश्री का भोग लगाना एक प्रमुख परंपरा है, जो हलछठ की पूजा विधि से मिलती-जुलती है।

बलराम जयंती (Balram Jayanthi) क्यों मनाई जाती है?

यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। महिलाएं इस दिन अपनी संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।

हलछठ के दिन पूजा में किन चीज़ों का उपयोग किया जाता है?

इस दिन पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से बलराम जी का अभिषेक किया जाता है। पूजा में तुलसी, माखन और मिश्री का भोग लगाया जाता है।

बलराम जी को ‘हलधर’ क्यों कहा जाता है?

बलराम जी का मुख्य शस्त्र हल था, और वे कृषि कार्यों से जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘हलधर’ के नाम से भी जाना जाता है, जिससे इस पर्व को हलछठ कहा जाता है।

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