घोड़े खच्चरों की बीमारी से मौत के बाद उनके संचालन पर लगी रोक
केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर घोड़े खच्चरों की बीमारी से मौत के बाद उनके संचालन पर लगी रोक को मंगलवार को अगले 24 घंटों के लिए बढ़ा दिया गया। घोड़े खच्चरों के संक्रामक रोग की चपेट में आने और उनमें से 14 की मौत होने के बाद सोमवार को उनके संचालन पर रोक लगा दी गयी थी। रुद्रप्रयाग के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ आशीष रावत ने बताया कि जिला प्रशासन के चिकित्सकों के साथ ही हरियाणा के हिसार स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान से रुद्रप्रयाग पहुंचा विशेषज्ञ चिकित्सकों का एक दल लगातार घोड़े.खच्चरों की बीमारी एवं स्थिति पर नजर रख रहा है।
घोड़े खच्चरों के नमूने ले रहे हैं पशु चिकित्सक
उन्होंने बताया कि पशु चिकित्सक गौरीकुंड़ क्षेत्र में घोड़े खच्चरों के नमूने ले रहे हैं और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। उन्होंने कहा, ‘सैंपलिंग प्रक्रिया के पूरा होने एवं जांच रिपोर्ट आने तक केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़े.खच्चरों के संचालन पर पुनः आगामी 24 घंटे तक पूर्ण प्रतिबंध लागू रहेगा।’ डॉ रावत ने बताया कि हिसार संस्थान से जांच रिपोर्ट आने के बाद ही घोड़े-खच्चरों के संचालन पर रोक हटाने के बारे में निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बीच अस्वस्थ पशुओं को पृथक-वास में रखा जायेगा। डॉ रावत ने बताया कि बुधवार को पंतनगर कृर्षि विश्वविद्यालय से भी दो विशेषज्ञ चिकित्सकों का एक दल केदारनाथ मार्गं पर जांच के लिए पहुंचेगा।
छह घोड़े-खच्चरों की संदिग्ध बीमारी से मृत्यु
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर रविवार को आठ और सोमवार को छह घोड़े-खच्चरों की संदिग्ध बीमारी से मृत्यु हो गयी जिसके बाद प्रदेश के पशुपालन सचिव डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम रुद्रप्रयाग पहुंचे तथा जिला प्रशासन के साथ स्थिति की समीक्षा की। इसके बाद केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के संचालन पर 24 घंटे के लिए रोक लगा दी गयी थी। सचिव ने बताया कि घोड़े-खच्चरों की मौत का कारण एक्वाइन इन्फलूएंजा नहीं लग रहा है और प्रथमद्रष्टया उनकी मृत्यु किसी बैक्टीरियल संक्रमण की वजह से हुई है। हांलांकि, उन्होंने कहा कि घोड़े.खच्चरों की मृत्यु के कारणों की जांच की जा रही है।
26 दिनों में रिकॉर्ड 16 हजार घोड़ों की स्क्रीनिंग की गयीं थी
पुरुषोत्तम ने बताया कि एक माह पहले चार अप्रैल को घोड़ों में एक्वाइन इन्फलूएंजा के लक्षण मिले थे जिसके बाद 30 अप्रैल तक 26 दिनों में रिकॉर्ड 16 हजार घोड़ों की स्क्रीनिंग की गयीं थी। उन्होंने बताया कि इनमें से 152 घोड़े.खच्चरों के सीरो सैंपल जांच में पॉजिटिव आए थे लेकिन इनके आरटीपीसीआर परीक्षण निगेटिव पाए गए थे। साढ़े ग्यारह हजार फीट से अधिक की उंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए करीब 16 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। हालांकि चढ़ाई वाले इस रास्ते को तय करने के लिए कुछ श्रद्धालुओं को पिटठू, पालकी या घोड़े खच्चरों का सहारा लेना पड़ता है।
जिला प्रशासन ने स्थिति के सामान्य होने तक यात्रियों से पालकी और पिटठू जैसे वैकल्पिक माध्यमों से यात्रा करने का अनुरोध किया है। व्यापारियों से भी सामान की ढुलाई के लिए इन विकल्पों का प्रयोग करने को कहा गया है ताकि बीमार पशुओं को आराम मिल सके और संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
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