हैदराबाद। बीआरएस एमएलसी (BRS MLC) डॉ. दासोजू श्रवण और तेलंगाना राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वकुलाभरणम कृष्णमोहन राव ने सरकार के बीसी (Backward class) आरक्षण से जुड़े कदमों पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने पूरे प्रक्रिया को “अस्पष्ट, असंवैधानिक और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित” बताया।
सभी दलों को साथ लेकर दिल्ली जाना चाहिए था : डॉ. दासोजू श्रवण
तेलंगाना भवन में आयोजित संयुक्त प्रेस वार्ता में डॉ. दासोजू श्रवण ने कहा, “जब राष्ट्रपति के पास भेजे गए विधेयक लंबित हैं, ऐसे समय में अनुच्छेद 213 के तहत अध्यादेश लाना असंवैधानिक है। अगर मुख्यमंत्री वास्तव में बीसी अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहते थे, तो उन्हें सभी दलों को साथ लेकर दिल्ली जाना चाहिए था, न कि केवल अपने पसंदीदा सहयोगियों को लेकर राजनीतिक नाटक करना चाहिए था। सरकार ने बीसी आरक्षण में वर्गीकरण लागू करने के हमारे लगातार मांग पर भी स्पष्टता नहीं दी है
सर्वे रिपोर्ट को विधानसभा में चर्चा के लिए पेश न करना प्रक्रियात्मक न्याय का उल्लंघन : डॉ. वकुलाभरणम
डॉ. वकुलाभरणम कृष्णमोहन राव ने कहा, “बुसानी आयोग की सिफारिशें और एसईईईपीसी सर्वे रिपोर्ट को विधानसभा में चर्चा के लिए पेश न करना प्रक्रियात्मक न्याय का उल्लंघन है। योजना विभाग के अंतर्गत सर्वे कराना और अनुच्छेद340 के तहत वैधानिक आयोग का गठन न करना गंभीर त्रुटि है। एक गैर‑वैधानिक रिपोर्ट के आधार पर इतने महत्वपूर्ण आरक्षण संबंधी निर्णय कैसे लिए जा सकते हैं? मुख्यमंत्री द्वारा सोनिया गांधी के एक साधारण पत्र – जिसमें प्रशंसा का एक शब्द भी नहीं है – की तुलना ‘ऑस्कर’ या ‘नोबेल पुरस्कार’ से करना अतिशयोक्ति है और यह तेलंगाना की राजनीतिक गरिमा को कम करता है।
बीसी वर्गों के लिए स्थायी न्याय केवल संवैधानिक प्रक्रिया से ही संभव
बीसी वर्गों के लिए स्थायी न्याय केवल पारदर्शी और संवैधानिक प्रक्रिया से ही संभव है।” दोनों वक्ताओं ने सरकार द्वारा जी.ओ. संख्या 49 (दिनांक 04.11.2024) के प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठाए, जिसके तहत ग्रामीण निकायों में प्रतिनिधित्व के लिए बुसानी वेंकटेश्वर राव की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया गया, जबकि शहरी निकायों पर अलग रिपोर्ट देने का वादा अब तक अधूरा है। बावजूद इसके, विधेयक संख्या4 ग्रामीण और शहरी दोनों निकायों को शामिल करता है, जिसे वक्ताओं ने उच्चतम न्यायालय के के. कृष्णमूर्ति बनाम भारत संघ (2010) और विकास कृष्णराव गावली बनाम महाराष्ट्र राज्य (2021) फैसलों का उल्लंघन बताया।
तमिलनाडु के अंबाशंकर आयोग (1982‑83) का उल्लेख किया
उन्होंने तमिलनाडु के अंबाशंकर आयोग (1982‑83) का उल्लेख करते हुए कहा कि वहाँ आयोग का गठन कमीशन आफ इनक्वायरी एक्ट के तहत किया गया, सभी नियम व शर्तें सार्वजनिक की गईं और 69% आरक्षण को नौंवीं अनुसूची में शामिल कर संवैधानिक सुरक्षा दी गई। दोनों नेताओं ने कहा कि सरकार का वर्तमान दृष्टिकोण “राजनीतिक रूप से सुविधाजनक लेकिन कानूनी रूप से अस्थिर” है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह रास्ता जारी रहा, तो “तेलंगाना की बीसी आरक्षण नीति को अनिवार्य रूप से न्यायालय में चुनौती मिलेगी।
बीसी का आरक्षण कितना है?
(Other Backward Classes – OBC) को केंद्र सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 27% आरक्षण मिलता है।
किस कैटेगरी को कितना आरक्षण है?
वर्ग | आरक्षण (%) |
---|---|
अनुसूचित जाति (SC) | 15% |
अनुसूचित जनजाति (ST) | 7.5% |
अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) | 27% |
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS – General) | 10% |
कुल आरक्षण | 59.5% |
बीसी सी जाति क्या है?
BC-C एक उपश्रेणी है जो कुछ राज्यों, खासकर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में उपयोग होती है। इन राज्यों ने BC (Backward Classes) को अलग-अलग वर्गों में बाँटा है।
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