नेतृत्व को प्रभावित करने के लिए किया गया प्रचार स्टंट
हैदराबाद। तेलंगाना पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष वकुलभरणम कृष्ण मोहन राव (Vakulabharanam Krishna Mohan Rao) ने पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व वाले दिल्ली विरोध प्रदर्शन की कड़ी आलोचना की और इसे आरक्षण सुनिश्चित करने के बजाय अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी नेतृत्व को प्रभावित करने के लिए एक प्रचार स्टंट बताया। उन्होंने सुझाव दिया कि कांग्रेस पिछड़ा वर्ग आरक्षण (Backward Class Reservation) को लागू करने के लिए कानूनी रास्ता अपनाए।
सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप
बुधवार को यहां एक प्रेस वार्ता में बोलते हुए कृष्ण मोहन राव ने सवाल उठाया कि राज्य सरकार ने तमिलनाडु मामले की तरह सर्वोच्च न्यायालय से स्पष्टीकरण प्राप्त करने के लिए परमादेश याचिका क्यों नहीं दायर की या अनुच्छेद 143(1) का उपयोग क्यों नहीं किया। पिछड़ा वर्ग नेता ने रेवंत रेड्डी सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया और बताया कि कैसे बुसानी आयोग की रिपोर्ट चुपचाप मुख्य सचिव को सौंप दी गई, जबकि न्यायमूर्ति सुदर्शन रेड्डी समिति की रिपोर्ट को ज़ोर-शोर से प्रचारित किया गया। उन्होंने कहा कि कालेश्वरम परियोजना की जाँच में 16 महीने से ज़्यादा का समय लगाने वाली सरकार ने पिछड़ा वर्ग आरक्षण की प्रक्रिया चंद दिनों में ही पूरी कर ली।
रिपोर्टों की वैधता पर भी उठाया सवाल
उन्होंने पूछा, ‘बीसी आरक्षण रिपोर्ट को क्यों छुपा कर रखा गया, जबकि कालेश्वरम रिपोर्ट जल्दबाजी में जारी कर दी गई?’ कृष्ण मोहन राव ने पिछड़ी जातियों के अधिकारों पर जल्दबाजी में तैयार की गई रिपोर्टों की वैधता पर भी सवाल उठाया और मांग की कि सरकार उन्हें सार्वजनिक करे। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘बीसी के लिए सच्चा न्याय अदालतों के माध्यम से आएगा, न कि राजनीतिक रूप से आयोजित विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से।’
कांग्रेस की उत्पत्ति कैसे हुई थी?
ब्रिटिश शासन के अंतर्गत 1885 में भारतीय नेताओं और अंग्रेज अधिकारी ए.ओ. ह्यूम की पहल पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन हुआ। इसका उद्देश्य था देशभर के पढ़े-लिखे भारतीयों को एक मंच पर लाकर ब्रिटिश सरकार से राजनीतिक अधिकारों की मांग करना और जन-जागृति फैलाना।
कांग्रेस ने देश को क्या दिया था?
आज़ादी की लड़ाई में कांग्रेस की भूमिका सबसे बड़ी थी। इसने देश को स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व, संविधान सभा का गठन, लोकतंत्र की स्थापना, पंचवर्षीय योजनाएं, हरित क्रांति, परमाणु नीति, विदेशी नीति और लोकतांत्रिक संस्थानों की नींव जैसे अनेक ऐतिहासिक योगदान दिए।
1969 में कांग्रेस विभाजन के क्या कारण थे?
विभाजन की जड़ थी राष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर मतभेद। इंदिरा गांधी और वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं (सिंडिकेट) में सत्ता और नीति निर्धारण को लेकर टकराव हुआ। इसी के चलते पार्टी दो हिस्सों में बंट गई—कांग्रेस (ओ) यानी संगठन और कांग्रेस (आर) यानी इंदिरा की कांग्रेस।
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