Bengaluru में मां ने कर दी बेटी की हत्या, परीक्षा में फेल होने पर कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा
Bengaluru से एक झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक मां ने अपनी ही 17 वर्षीय बेटी की हत्या कर दी, क्योंकि वह चार पीयू (Pre-University) विषयों में फेल हो गई थी। इस मामले ने न सिर्फ समाज को हैरान किया है, बल्कि शिक्षा, मानसिक दबाव और पेरेंटिंग को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े किए हैं।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना कर्नाटक की राजधानी Bengaluru के एक उपनगर की है। मृतका एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की छात्रा थी और हाल ही में उसका रिजल्ट आया था। जब उसकी मां को यह पता चला कि बेटी चार विषयों में फेल हो गई है, तो वह काफी गुस्से और मानसिक तनाव में आ गई।
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, मां ने गुस्से में आकर बेटी का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद उसने खुद ही पुलिस को फोन कर सच्चाई कबूल की।

कोर्ट का फैसला
इस मामले की सुनवाई कर्नाटक की एक जिला अदालत में हुई। पेश किए गए सबूत, फोरेंसिक रिपोर्ट और आरोपी के कबूलनामे के आधार पर कोर्ट ने आरोपी मां को उम्रकैद (life imprisonment) की सजा सुनाई।
जज ने अपने फैसले में कहा:
“माता-पिता को बच्चों पर विश्वास रखना चाहिए, ना कि असफलता को मौत की वजह बना देना चाहिए।”
शिक्षा का दबाव और मानसिक स्वास्थ्य
यह मामला भारत में परीक्षा के दबाव और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर सवाल खड़ा करता है। हर साल लाखों छात्र असफलता के डर से आत्महत्या या मानसिक तनाव में चले जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि:
- असफलता को स्वीकार करना सिखाना जरूरी है।
- घर का माहौल प्यार और सहारे से भरा होना चाहिए।
- हर बच्चा नंबरों से नहीं, काबिलियत से मापा जाना चाहिए।
सामाजिक और पारिवारिक सोच में बदलाव की ज़रूरत
यह घटना इस बात की एक कड़वी मिसाल है कि हम कितने नंबर-केन्द्रित समाज में जी रहे हैं, जहां परीक्षा में असफलता को चरित्र और भविष्य का अंतिम मूल्यांकन मान लिया जाता है।
माता-पिता को चाहिए कि:
- बच्चों के रिजल्ट को जीवन-मरण का प्रश्न न बनाएं
- संवाद और सहानुभूति को प्राथमिकता दें
- बच्चों को उनकी क्षमताओं के अनुसार प्रोत्साहित करें

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
जैसे ही यह खबर सामने आई, सोशल मीडिया पर गम और गुस्से की लहर दौड़ गई। कई यूज़र्स ने कहा कि:
“मां से ऐसी उम्मीद नहीं थी। एक असफलता किसी की ज़िंदगी खत्म करने का बहाना नहीं हो सकती।”
कई मनोचिकित्सकों और शिक्षा विशेषज्ञों ने भी इस पर चिंता जताई और स्कूलों में काउंसलिंग सिस्टम को मजबूत करने की मांग की।
असफलता अंत नहीं, एक शुरुआत है
Bengaluru की यह घटना एक गंभीर चेतावनी है—हमारे समाज को बदलने की ज़रूरत है। बच्चों को प्यार, समझ और मार्गदर्शन चाहिए—not सिर्फ अपेक्षाएं और दबाव। शिक्षा सिर्फ अंकों से नहीं, संवेदनशीलता और सहानुभूति से भी मापी जानी चाहिए।