MP: MPPSC इंटरव्यू प्रक्रिया में बड़ा बदलाव

By Surekha Bhosle | Updated: June 21, 2025 • 11:33 AM

अब उम्मीदवारों को नहीं बतानी होगी जाति

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने अभ्यर्थियों के हित में एक बड़ा और सराहनीय कदम उठाया है। आयोग ने इंटरव्यू प्रक्रिया में बदलाव करते हुए अभ्यर्थियों से उनकी जाति और सरनेम से संबंधित जानकारी लेना बंद कर दिया है।

इंटरव्यू फॉर्मेट में 4 पेज की कटौती

मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग ने इंटरव्यू (Interview) के दौरान ली जाने वाली जानकारी का फॉर्मेंट सरल और छोटा बना दिया है। पहले 5 पन्नों का फॉर्मेंट था। जिसमें से 4 पेज कम हो गए हैं। सामने आए नए फॉर्मेट के मुताबिक अब उम्मीदवार को एक पेज का ही फॉर्मेट भरना होगा।

दरअसल, पिछले दिनों उम्मीदवार लगातार भेदभाव के आरोप लगा रहे थे। उनका दावा था कि पीएससी MPPSC बोर्ड में इंटरव्यू के अंक सरनेम, कैटेगरी जैसी बातों के आधार पर तय किए जाते हैं।

इस नए फॉर्मेंट को काफी सरल और छोटा बनाया है और इसमें उम्मीदवारों की कैटेगरी, सरनेम आदि की जानकारी की जरूरत नहीं है। आयोग पूरी पारदर्शिता के साथ काम करता है। उम्मीदवारों की ओर से जो भी बातें संज्ञान में लाई जाती है और सुझाव आते हैं। उन पर आयोग विचार कर समय समय पर बदलाव करता है।

7 जुलाई से शुरू होंगे इंटरव्यू

पीएससी MPPSC से मिली जानकारी के अनुसार आयोग द्वारा राज्य सेवा परीक्षा 2023 के 7 जुलाई से इंटरव्यू होना है। इसके पहले अब आयोग ने इंटरव्यू बोर्ड पर उठने वाले सवालों को दूर करने के लिए इंटरव्यू बोर्ड के लिए भरे जाने वाले फॉर्म का फॉर्मेंट बदल दिया है।

पहले यह पांच पन्नों का होता था और इसमें उम्मीदवारों से कई जानकारियां ली जाती थी। इसमें उसका पूरा नाम (सरनेम के साथ), कैटेगरी यह सब विस्तृत होता था, लेकिन अब केवल एक पन्ने की जानकारी मांगी गई है।

मिडिल और सरनेम हटाया गया

हर उम्मीदवार का एक कोड होगा जो आयोग फॉर्म पर लिखेगा। उम्मीदवार का नाम बिना मिडिल और सरनेम के होगा। निवास स्थान और केवल शहर का नाम होगा। शैक्षणिक योग्यता होगी। एक्स्ट्रा करिकुलर, एनसीसी, एनएसएस की जानकारी देना होगी।

विशेष योग्यता, कार्यानुभव, उपलब्धि के बारे में बताना होगा। सेवा में है तो उसकी जानकारी देना होगी। हॉबीज और अतिरिक्त जानकारी देना होगी। साथ ही शासकीय सेवा में आने का उद्देश्य बताना होगी। बता दें कि उम्मीदवार द्वारा एक पन्ने में दी गई इसी जानकारी को इंटरव्यू बोर्ड में दिया जाएगा।

नेता या अधिकारी का बेटा है तो उसे अधिक अंक मिलने के लगे थे आरोप

आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि लिखित परीक्षा में अधिक अंकों के बाद भी कई उम्मीदवार इंटरव्यू में कम अंकों के चलते टॉपर नहीं बन पाते हैं। कई बार इन्हें डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी जैसे पद की जगह कुल अंक कम हो जाने से नीचे तृतीय श्रेणी के पदों पर पहुंच जाते हैं।

उम्मीदवारों द्वारा इसमें लगातार आरोप लगाए जा रहे थे कि पीएससी के बोर्ड द्वारा उम्मीदवारों के साथ भेदभाव किया जाता है और सरनेम, कैटेगरी जैसी बातों से भी अंक तय किए जाते हैं। यह भी आरोप लगे थे कि यदि प्रभावी व्यक्ति, नेता, अधिकारी का बेटा है तो उसे भी अधिक अंक मिल जाते हैं।

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