बिहार(Bihar) में हाल के दिनों में अपराध की घटनाओं ने कानून-व्यवस्था(Law&Order) की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पिछले 14 दिनों में राज्य में 50 हत्याओं की खबरें सामने आई हैं, जो एक भयावह स्थिति को दर्शाती हैं। यह आंकड़ा न केवल अपराधियों की बेखौफी को उजागर करता है, बल्कि सरकार और पुलिस प्रशासन की कार्यक्षमता पर भी सवाल उठाता है।[wkp]
बेगूसराय, पटना, सीतामढ़ी, नालंदा, खगड़िया, गया और अन्य जिलों में हत्याओं की वारदातों ने लोगों में दहशत फैला दी है।
हाल की घटनाएं
हाल की कुछ प्रमुख घटनाओं में बेगूसराय में दिनदहाड़े दो युवकों पर गोलीबारी की गई, जिसमें एक की मौत हो गई और दूसरा गंभीर रूप से घायल है। पटना में सुल्तानगंज थाने से महज 300 मीटर की दूरी पर वकील जितेंद्र कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसी तरह, पुनपुन प्रखंड के शेखपुरा गांव में बीजेपी नेता सुरेंद्र केवट को बाइक सवार अपराधियों ने गोलियों से भून डाला।
सीतामढ़ी में 24 घंटे में दो हत्याएं हुईं, जबकि पूर्णिया में एक ही परिवार के पांच लोगों को जिंदा जलाने की दिल दहलाने वाली घटना सामने आई। मुजफ्फरपुर में भी एक सप्ताह में चार हत्याएं दर्ज की गईं, जिसमें एक प्रॉपर्टी डीलर की गोली मारकर हत्या शामिल है।
बिहार में फिर से जंगल राज !
इन घटनाओं ने बिहार में ‘जंगलराज’ की यादों को फिर से ताजा कर दिया है। विपक्षी दल, खासकर आरजेडी और कांग्रेस, इन हत्याओं को लेकर नीतीश सरकार पर हमलावर हैं। राहुल गाँधी ने बिहार को ‘क्राइम कैपिटल’ कहा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, “बिहार में इंसानों का जीवन कीड़े-मकौड़ों से भी सस्ता हो गया है।” वहीं, बीजेपी नेताओं ने भी अपराधियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग की है। पुलिस का दावा है कि वह छापेमारी और जांच में जुटी है, लेकिन अपराधी बेखौफ होकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।
सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर यह मुद्दा गरमाया हुआ है। लोग सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, और सुप्रीम कोर्ट में भी वोटर लिस्ट शुद्धिकरण के विरोध में याचिकाएं दायर की गई हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से कानून-व्यवस्था के मुद्दे से जुड़ी हैं। बिहार में बढ़ते अपराध ने न केवल जनता में भय का माहौल पैदा किया है, बल्कि सरकार की सुशासन की छवि को भी धक्का पहुंचाया है.
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