मुम्बई : ज्योतिष्पीठाधीश्वर (Jyotishpeethadhishwar) जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती की गौभक्त सेना चुनावी राज्य बिहार कूच करेगी। इसकी बकायदा तैयारी की जा रही है। इसी को लेकर जगद्गुरु शंकराचार्य (Jagadguru Shankaracharya) अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने मुम्बई के बोरीवली कोराकेन्द्र में आयोजित गोसंसद् के प्रदेश प्रभारियों की बैठक की।
सनातन धर्म में गोहत्या महापाप : अविमुक्तेश्वरानन्द
इस बैठक में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने कह कि सनातन धर्म में गोहत्या महापाप है। गोहत्या करने वाले को समर्थन देने वाले को भी यह पाप लगता है।इसलिये सत्ता में आकर गोहत्या करने वाले राजनीतिक दलों को मत देकर उन्हें सत्ता में लाने वाले मतदाताओं को भी गोहत्या का पाप लग रहा है। हिन्दुओं को इससे बचने और अपने मताधिकार का सही प्रयोग करने की आवश्यकता है।
गोमाता की पूजा करने से 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा एक साथ हो जाती है : शंकराचार्य
उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्र हमें बताते हैं कि गोमाता सर्वदेवमयी है। इनकी पूजा करने से 33 करोड देवी-देवताओं की पूजा एक साथ हो जाती है।इनका स्थान सर्वोपरि है।तभी तो सनातन धर्म में देवता और गुरु के लिए नहीं,अपितु गोमाता के लिए पहली रोटी (गो-ग्रास) निकालने का नियम है।

चक्रवर्ती सम्राट् दिलीप,भगवान् राम और भगवान् कृष्ण ने भी गोसेवा की
उन्होंने कहा कि हमारे देश का यह भी गौरवपूर्ण इतिहास रहा है कि चक्रवर्ती सम्राट् दिलीप,भगवान् राम और भगवान् कृष्ण ने भी गोसेवा की है।परन्तु बहुसंख्यक गो-पूजक सनातनियों के इस देश में आज गोमाता की हत्या हो रही है,जो हम सबके लिए कलङ्क है।इसी कलङ्क को भारत की भूमि से मिटाने के लिए पूर्व में भी अनेक सन्तों ने गोरक्षा आन्दोलन किया था।तब से अब तक अनेक सरकारें आयीं,लेकिन किसी ने भी गोहत्या बन्दी की उद्घोषणा नहीं की,बल्कि गोहत्या को बढ़ावा ही देती रहीं।
गोहत्या कराने वालों को मदतान से करें परहेज : शंकराचार्य
उन्होंने कहा कि हमारा धर्म हमें यह भी सिखाता है कि यदि हम गलत करने वाले का समर्थन करते हैं,तो हमें भी उस गलत कार्य को करने का पाप भोगना पडता है। यदि कोई सरकार गोहत्या कर रही हो और हम उसे वोट देकर अपना समर्थन देते हैं तो उसके द्वारा किये जा रहे गोहत्या का पाप हमें भी लगेगा। इसीलिए हम गोभक्त सनातनी हिन्दुओं से यह कहना चाहते हैं कि आप गोहत्यारी पार्टियों को अपना अमूल्य वोट देकर गोहत्या के महापाप के भागी न बनें।
देश में होने वाले चुनाव में कौन-सी पार्टी कब सत्ता में आयेगी, यह कभी भी पहले से नहीं कहा जा सकता। इसलिए आप सब यह स्पष्ट निर्णय कर लें कि जिस भी पार्टी की सरकार बने,उसे शपथ-ग्रहण करते ही सबसे पहला कार्य गोहत्या बन्द कराकर गाय को राष्ट्रमाता घोषित करना होगा। आपके द्वार पर जो भी वोट लेने आये,उनसे आप यह कह सकते हैं कि गोहत्या न करने का शपथ-पत्र लिखित रूप से देने पर ही वोट दिया जायेगा, ताकि आपको स्वयं गोहत्या का पाप न लगे।
बिहार के हर जिले में दौरा करेंगे शंकराचार्य
परमाराध्य शंकराचार्य जी महाराज इस समय मुम्बई में चातुर्मास्य व्रत कर रहे हैं। भाद्रपद पूर्णिमा को सीमोल्लंघन के बाद वे मध्य प्रदेश के परमहंसी गंगा आश्रम में अपने ब्रह्मलीन सद्गुरुदेव द्विपीठाधीश्वर स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के आराधना महोत्सव के लिए प्रस्थान करेंगे और वहाँ से वे सीधे बिहार के लिए रवाना होंगे। शङ्कराचार्य जी के आगमन से पहले शङ्कराचार्य जी की गौभक्त सेना पूरे बिहार में गाय के प्रत्याशी को वोट देने को प्रेरित करेगी और जब शंकराचार्य जी महाराज का बिहार आगमन होगा तो वे बिहार के हर जिले में दौरा करते हुए गोमतदाता संकल्प सभा को सम्बोधित करेंगे।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद कौन हैं?
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी एक प्रमुख हिंदू धर्मगुरु और ज्योतिष पीठाधीश्वर (उत्तराखंड) के वर्तमान शंकराचार्य हैं।
- ये अद्वैत वेदांत परंपरा के प्रतिष्ठित प्रतिनिधि हैं।
- वे स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के उत्तराधिकारी शिष्य हैं।
अविमुक्तेश्वरानंद की जाति क्या है?
ब्राह्मण जाति से हैं।
- शंकराचार्य बनने के लिए परंपरा अनुसार व्यक्ति का ब्राह्मण होना आवश्यक माना जाता है, और उन्हें दीक्षा सन्यास परंपरा से दी जाती है।
- शंकराचार्य जाति से ऊपर एक सन्यासी धर्म है, जिसमें जातिगत पहचान गौण हो जाती है।
वर्तमान में भारत के शंकराचार्य कौन हैं?
भारत में चार प्रमुख शंकराचार्य पीठ हैं, जिनके वर्तमान शंकराचार्य निम्नलिखित हैं (2025 के अनुसार):
- ज्योतिष पीठ (उत्तराखंड) –
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
(स्वामी स्वरूपानंद जी के उत्तराधिकारी) - शारदा पीठ (द्वारका, गुजरात) –
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (पूर्व में दोनों पीठों के प्रमुख थे, अब उनके बाद उत्तराधिकारी घोषित नहीं हुआ है या प्रक्रिया जारी है) - गोवर्धन पीठ (पुरी, उड़ीसा) –
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती - श्रृंगेरी पीठ (कर्नाटक) –
स्वामी भारती तीर्थ महा स्वामी
उत्तराधिकारी: विदुषेकर भारती (युवाचार्य)
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