‘या तो हमारा पानी बहेगा या उनका…’: Bilawal Bhutto ने सिंधु जल संधि पर रोक पर भारत को चेतावनी दी
भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चले आ रहे सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को लेकर अब तनाव गहराता नजर आ रहा है।
ताजा घटनाक्रम में पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री Bilawal Bhutto जरदारी ने भारत को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा,
“या तो हमारा पानी बहेगा या उनका… अगर भारत ने संधि का उल्लंघन किया तो हम मजबूती से जवाब देंगे।“
क्या है सिंधु जल संधि?
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे।
- इसके तहत सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों का अधिकतर पानी पाकिस्तान को दिया गया,
- जबकि रावी, ब्यास और सतलज नदियों का पानी भारत को सौंपा गया।
यह संधि अब तक भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के बावजूद भी बनी रही है और अक्सर इसे द्विपक्षीय रिश्तों का एक मजबूत आधार माना जाता है।

भारत की संभावित कार्रवाई
हाल ही में भारत ने संकेत दिया कि वह संधि की कुछ शर्तों की समीक्षा कर सकता है।
- भारत का आरोप है कि पाकिस्तान बार-बार इस संधि का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है।
- साथ ही भारत ने कहा कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को देखते हुए अब परंपरागत धैर्य का समय खत्म हो रहा है।
Bilawal Bhutto का आक्रामक रुख
Bilawal Bhutto ने अपने बयान में भारत पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा:
- “भारत लगातार सिंधु जल संधि का उल्लंघन कर रहा है।”
- “अगर भारत ने पानी रोकने या अपने पक्ष में बहाव मोड़ने की कोशिश की, तो यह सीधा युद्ध के हालात पैदा कर सकता है।”
- “हम अपने पानी की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
विश्लेषकों के अनुसार, सिंधु जल संधि पर किसी भी तरह की टकराव की स्थिति:
- दक्षिण एशिया में स्थिरता और शांति के लिए खतरा बन सकती है।
- वैश्विक शक्तियां जैसे संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और चीन इस मामले पर नजर रखे हुए हैं।
विश्व बैंक ने भी हाल ही में दोनों देशों से संयम बरतने और संधि के प्रावधानों का पालन करने की अपील की थी।

भारत का पक्ष
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि:
- भारत ने अब तक संधि का पूरी तरह पालन किया है।
- लेकिन अगर पाकिस्तान लगातार उकसावे की नीति अपनाएगा और आतंकवाद का समर्थन करेगा, तो भारत भी पानी रोकने के विकल्पों पर विचार कर सकता है।
- भारत ने अपने बांधों और जल परियोजनाओं के निर्माण को लेकर स्पष्ट कहा है कि वे संधि के दायरे में हैं।
Bilawal Bhutto का यह बयान साफ दिखाता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच पानी को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। आने वाले समय में यदि कोई ठोस बातचीत नहीं हुई तो दोनों देशों के बीच एक नया विवाद खड़ा हो सकता है,
जो पहले से ही संवेदनशील संबंधों को और बिगाड़ सकता है।
आने वाले हफ्तों में इस मुद्दे पर दोनों देशों की नीति और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं बेहद महत्वपूर्ण होंगी।