BIMSTEC समिट में पहुंचे पीएम मोदी, बैंकॉक में हुआ स्वागत

BIMSTEC समिट में पहुंचे पीएम मोदी, बैंकॉक में हुआ स्वागत

BIMSTEC शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने बैंकॉक पहुंचे पीएम मोदी, हुआ शानदार स्वागत

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैंकॉक, थाईलैंड में आयोजित BIMSTEC (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंचे हैं। बैंकॉक में उनका भव्य स्वागत किया गया। इस सम्मेलन के दौरान भारत-थाईलैंड और अन्य सदस्य देशों के बीच कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों पर चर्चा होगी।

Advertisements
BIMSTEC समिट में पहुंचे पीएम मोदी, बैंकॉक में हुआ स्वागत

BIMSTEC शिखर सम्मेलन का महत्व

BIMSTEC एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसमें बंगाल की खाड़ी से जुड़े सात देश शामिल हैं:
भारत
बांग्लादेश
म्यांमार
श्रीलंका
थाईलैंड
नेपाल
भूटान

Advertisements

इस संगठन का उद्देश्य आर्थिक विकास, व्यापार, निवेश, तकनीकी सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना है।

पीएम मोदी का बैंकॉक में स्वागत

बैंकॉक हवाई अड्डे पर पीएम मोदी का शानदार स्वागत किया गया। थाईलैंड के अधिकारियों और भारतीय समुदाय के लोगों ने गर्मजोशी से उनका अभिनंदन किया।

भारतीय प्रवासियों ने ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाए।
संस्कृतिक रूप से समृद्ध स्वागत समारोह का आयोजन किया गया।
थाईलैंड सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया।

भारत के लिए BIMSTEC क्यों जरूरी?

वैश्विक व्यापार और निवेश: BIMSTEC भारत को ASEAN देशों से व्यापार को मजबूत करने का अवसर देता है।
सामुद्रिक सुरक्षा: बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में नौवहन सुरक्षा और समुद्री व्यापार को सुगम बनाने के लिए सहयोग।
ऊर्जा साझेदारी: भारत इस मंच का उपयोग सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के विकास के लिए कर रहा है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट: भारत BIMSTEC देशों के साथ मिलकर सड़क, रेलवे और कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है।

सम्मेलन में क्या-क्या होगा?

व्यापार और निवेश को बढ़ाने पर चर्चा।
सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को मजबूत करना।
इन्फ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल कनेक्टिविटी पर फोकस।
सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग को गहरा करना।

भारत-थाईलैंड संबंधों पर असर

व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
संस्कृतिक और पर्यटन आदान-प्रदान को मजबूती मिलेगी।
रक्षा और समुद्री सुरक्षा में सहयोग बढ़ेगा।
इंडो-पैसिफिक रणनीति को नई दिशा मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *