उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर (Ghazipur) जिले में रविवार की रात नोनहरा थाने के भीतर ऐसा बवाल मचा, जिसने पूरे इलाके को दहला दिया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कई वीडियो में दिख रहा है कि पुलिस ने थाने की लाइट बंद कर धरने पर बैठे भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया। इस घटना में रुकुंदीपुर गाँव निवासी सीताराम उपाध्याय (Sitaram Upadhyay) की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए। मौत की खबर फैलते ही गाज़ीपुर और आसपास का इलाका तनाव की आग में झुलसने लगा। फिलहाल नोनहरा थाना और आस-पास का इलाका छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
विवाद की जड़ – बिजली का पोल
पूरा विवाद नोनहरा थाना क्षेत्र के गठिया गाँव से शुरू हुआ। यहाँ दो पक्षों—ओंकार राय और अरविंद राय—के बीच बिजली का पोल गाड़ने को लेकर तनातनी हो गई थी। ओंकार राय अपने ट्यूबवेल तक बिजली लाइन ले जाना चाहते थे, जिसके लिए पोल को अरविंद राय की ज़मीन से गुज़ारना ज़रूरी था। लेकिन अरविंद राय ने इसका कड़ा विरोध किया। मामला तूल पकड़ने पर शेरपुर गाँव के भाजपा नेता राजेश राय बागी अपने 20 समर्थकों के साथ थाने पहुँच गए और पुलिस से वार्ता की माँग की।
थाने के अंदर कैसे भड़का बवाल?
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, पुलिस ने वार्ता से इनकार कर दिया। इसके बाद भाजपा नेता और कार्यकर्ता थाने परिसर में धरने पर बैठ गए। इसी दौरान अचानक थाने की लाइट बंद कर दी गई और आरोप है कि पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज किया। अंधेरे में की गई इस कार्रवाई में जमकर मारपीट हुई। सीताराम उपाध्याय गंभीर रूप से घायल हुए और बाद में उनकी मौत हो गई।
वायरल वीडियो से मचा हड़कंप
घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें थाने के अंदर अफरा-तफरी और चीख-पुकार सुनाई दे रही है। इन वीडियो के सामने आने के बाद पुलिस पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। भाजपा नेताओं ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया है और जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की माँग की है।
हालात तनावपूर्ण
मृतक सीताराम के गाँव में शोक और आक्रोश का माहौल है। परिजन पुलिस पर आरोप लगाते हुए न्याय की गुहार कर रहे हैं। वहीं, भाजपा कार्यकर्ताओं में भारी नाराज़गी है। गाज़ीपुर प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया है।
एसपी गाज़ीपुर का बयान और जाँच के आदेश
इस पूरे मामले पर एसपी गाज़ीपुर ने अपने पुलिसकर्मियों का बचाव किया है। उनका कहना है कि थाने के अंदर लाइट किसी ने जानबूझकर बंद नहीं की, बल्कि तकनीकी कारणों से बिजली चली गई थी। उन्होंने आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि पुलिस ने केवल स्थिति संभालने की कोशिश की थी।
फिर भी मामले की गंभीरता को देखते हुए एएसपी (ASP) को जाँच अधिकारी नियुक्त किया गया है। अब वही इस पूरे घटनाक्रम की जाँच करेंगे और रिपोर्ट सौंपेंगे।
यह मामला अब केवल स्थानीय विवाद तक सीमित नहीं रहा। भाजपा नेताओं की पिटाई और कार्यकर्ता की मौत ने इसे राजनीतिक रंग दे दिया है। विपक्ष पहले ही कानून-व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है और अब सत्तारूढ़ दल के भीतर से भी नाराज़गी की आवाज़ें उठ सकती हैं।