पटना, हाजीपुर, गोपालगंज समेत 14 जिलों में सुबह से तेज बारिश (Heavy Rain) हो रही है। बारिश के बाद पटना के कई इलाकों में जलजमाव की स्थिति बनी हुई है। राजधानी के नदवां की सड़क पर मछली दिखी। हाजीपुर के रामजीवन चौक, राजेंद्र चौक के पास पानी भरा है। वहीं लखीसराय (Lakhisarai) में तेज हवा की वजह से बाढ़ के पानी में नाव पलट गई। नाव पर सवार लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए पानी में छलांग लगा दी। घटना बड़हिया प्रखंड के महरामचक गांव की है।
6 दिनों तक ऐसा ही बना रहेगा मौसम
मौसम विभाग ने पटना समेत 9 जिलों में बारिश का ऑरेंज अलर्ट (Orange Alert) जारी किया है। वहीं, 15 जिलों में यलो अलर्ट है। ऑरेंज अलर्ट वाले इलाकों में अगले 24 घंटे में भारी से अति भारी बारिश हो सकती है।पटना मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, बिहार के उत्तर-पश्चिम इलाकों में मानसून ज्यादा सक्रिय है। जिसके चलते अगले 5 से 6 दिनों तक राज्य में भारी बारिश की संभावना बनी हुई है।
भागलपुर में भी अब गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। जिले में अब भी हालात बिगड़े हुए हैं। इस्माइलपुर-बिंदटोली तटबंध पर सोमवार को आई दरार के बाद मंगलवार को बिंदटोली गांव गंगा में समा गया।
100 से ज्यादा घर गंगा में विलीन हो गए। करीब 3400 लोग बेघर हो गए।सीएम नीतीश कुमार बुधवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों में चल रहे राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने बाढ़ पीड़ितों को जल्द से जल्द मदद पहुंचाने के निर्देश दिए।
बिहार के 12 जिलों में बाढ़, 17 लाख लोग प्रभावित
बिहार में बाढ़ धीरे-धीरे विकराल होती जा रही है। गंगा, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, पुनपुन, घाघरा समेत 10 नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इससे बिहार के 12 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। राज्य में 17 लाख से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित हैं।

बिहार का कौन सा भाग बाढ़ की सबसे अधिक संभावना है?
उत्तरी बिहार में सारण, गोपालगंज, वैशाली, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, अररिया, पूर्णया, कटिहार, खगड़िया, शिवहर बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित है। जबकि दक्षिण बिहार में पटना और जहानाबाद बाढ़ से अधिक प्रभावित है। पठार से निकलकर द० पू० बहने वाली नदियों में दामोदर और स्वर्णरेखा अपनी बाढ़ के लिए बदनाम रही है।
बिहार में हर साल बाढ़ क्यों आती है?
बिहार का भौगोलिक स्वरूप, हिमालय से बहने वाली बर्फीली नदियों के कारण, बाढ़ के प्रति संवेदनशील है । तटबंधों ने नदियों के तलछट को रोक लिया है, जिससे नदी तल का जलस्तर बढ़ रहा है और हर साल बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। इसके अलावा, भारी बारिश और नेपाल से पानी छोड़े जाने से स्थिति और भी बदतर हो जाती है।
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