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Seria : चर्च में प्रार्थना के बीच फटा बम, आत्मघाती हमले में 22 की मौत

Anuj Kumar
Anuj Kumar
Seria : चर्च में प्रार्थना के बीच फटा बम, आत्मघाती हमले में 22 की मौत

सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक दिल दहला देने वाला आत्मघाती हमला हुआ है। इस हमले में कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई जबकि 63 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। यह घटना उस समय हुई जब एक हमलावर ने लोगों से भरे मार एलियास चर्च में प्रार्थना के दौरान खुद को उड़ा लिया। दमिश्क के बाहरी इलाके में स्थित द्वेइला में हुए इस विस्फोट ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हताहतों में बच्चे भी शामिल हैं।

सुरक्षित माने जाने वाले इलाके में हमला

यह हमला ऐसे क्षेत्र में हुआ है जिसे सीरियाई शासन का सबसे सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है। सीरिया के सरकारी मीडिया ने इस घटना को कायरतापूर्ण आतंकी हमला करार दिया है। हालाँकि अभी तक किसी भी संगठन ने इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है जिससे इसके पीछे के इरादों पर सवाल उठ रहे हैं।

सूचना मंत्री ने की हमले की निंदा

सीरियाई सूचना मंत्री हमजा मुस्तफा ने इस हमले की कड़ी निंदा की और इसे एक आतंकवादी हमला बताया। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, यह कायरतापूर्ण हमला उन नागरिक मूल्यों के खिलाफ है जो हमें एक साथ लाते हैं। हम आपराधिक संगठनों से निपटने और समाज की सुरक्षा को खतरे में डालने वाले सभी हमलों से समाज की रक्षा करने के लिए अपने सभी प्रयासों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर नए सवाल

एक सुरक्षा सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस हमले में दो लोग शामिल थे जिनमें से एक ने खुद को उड़ा लिया। यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल-शरा जिन्होंने जनवरी में पद संभाला था और असद के खिलाफ आक्रामक अभियान का नेतृत्व किया था बार-बार कह चुके हैं कि वह अपने कार्यकाल के दौरान अल्पसंख्यकों की रक्षा करेंगे।

राष्ट्रपति अहमद अल-शरा देश भर में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और इस युद्धग्रस्त देश में चरमपंथी समूहों के स्लीपर सेल की मौजूदगी को लेकर लगातार चिंताएँ बनी हुई हैं। यह हमला सीरिया में कई सालों में अपनी तरह का पहला हमला था और यह ऐसे समय में हुआ है जब दमिश्क अपने वास्तविक इस्लामी शासन के तहत अल्पसंख्यकों का समर्थन जीतने की कोशिश कर रहा है। इस हमले ने न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं बल्कि सीरिया में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भी नई बहस छेड़ दी है।

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