रोम। फ्रांसीसी वैज्ञानिक एटियेन-एमिले बौलियू, जिन्हें गर्भपात की गोली के आविष्कारक के रूप में जाना जाता है उनका 98 साल की आयु में पेरिस में निधन हो गया था। उनके संस्थान ने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी। एक डॉक्टर और एक रिसर्चर दोनों, बौलियू स्टेरॉयड हार्मोन पर अपने काम के साइंटिफिक, मेडिकल और सोशल सिग्नीफेंस के लिए दुनिया भर में जाने जाते थे।
बौलियू का जन्म 12 दिसंबर, 1926 को स्ट्रासबर्ग में हुआ था
इंस्टीट्यूट बौलियू ने अपनी वेबसाइट पर पोस्ट में कहा कि उनका रिसर्च साइंस द्वारा संभव की गई प्रगति के प्रति उनके लगाव, महिलाओं की स्वतंत्रता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और सभी को बेहतर, लंबा जीवन जीने में सक्षम बनाने की उनकी इच्छा से प्रेरित था। बौलियू का जन्म 12 दिसंबर, 1926 को स्ट्रासबर्ग में हुआ था। उस वक्त उनका नाम एटिएन ब्लम था, लेकिन 15 साल की आयु में नाजी कब्जे के खिलाफ फ्रांसीसी प्रतिरोध में शामिल होने पर अपना नाम उन्होंने ‘एमिले बौलियू’ रख लिया था।
हार्मोन पर काम करने वाली एक अग्रणी शोध इकाई की स्थापना की
1955 में मेडिकल में डॉक्टरेट और 8 साल बाद साइंस में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल करने वाले एंडोक्रिनोलॉजिस्ट बौलियू ने 1963 में फ्रांसीसी हैल्थ और मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में हार्मोन पर काम करने वाली एक अग्रणी शोध इकाई की स्थापना की। वे 1997 तक इकाई के प्रमुख रहे। उन्हें 1982 में आरयू 486 के विकास के लिए जाना जाता है, जिसे “गर्भपात की गोली” कहा जाता है, जिसने दुनिया भर में लाखों महिलाओं के जीवन को बदल दिया, उन्हें फिजिकल और साइकोलॉजिकल सिक्योरिटी में वॉलंटरी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी की संभावना प्रदान की।
महिलाओं के गर्भपात के अधिकारों के विरोधियों से तीखी आलोचना
उनकी खोज के बाद रिसर्चर को महिलाओं के गर्भपात के अधिकारों के विरोधियों से तीखी आलोचना और यहां तक कि धमकियों का भी सामना करना पड़ा था। संस्थान ने कहा था कि आज भी इस पद्धति का विरोध किया जा रहा है, कुछ देशों में इस पर प्रतिबंध है और वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका में इसे चुनौती दी जा रही है, जहां यह सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली गर्भपात पद्धति है।
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