Brahmaputra River पर चीन की चाल का क्या होगा असर? सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने दिया फैक्ट्स पर आधारित जवाब
Brahmaputra River भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की जीवनरेखा है। यह नदी तिब्बत से निकलकर अरुणाचल प्रदेश और असम होते हुए बांग्लादेश में मिलती है। हाल ही में ऐसी आशंकाएं जताई जा रही थीं कि चीन Brahmaputra River का पानी रोक सकता है, जिससे भारत में जल संकट गहरा सकता है। इस पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने स्पष्ट और तथ्य आधारित प्रतिक्रिया दी है।
पाकिस्तान की थ्योरी को सरमा ने बताया बेबुनियाद
- पाकिस्तान समर्थित कुछ रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया थ्योरी में दावा किया गया कि चीन भारत को जल संकट में डाल सकता है।
- इसके जवाब में सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “Brahmaputra River का पानी सिर्फ 1.5% तिब्बत से आता है, बाकी का अधिकांश हिस्सा भारत में ही जनरेट होता है।”

भारत पर क्या होगा प्रभाव अगर चीन पानी रोके?
Brahmaputra River के संदर्भ में चीन द्वारा पानी रोकने से भारत पर सीमित प्रभाव होगा, इसका कारण है:
- भारत में बारिश से बनने वाला जलस्तर – मानसून में ब्रह्मपुत्र का अधिकांश पानी स्थानीय वर्षा से आता है।
- सिर्फ सूखे मौसम में थोड़ा असर संभव – जब मानसून नहीं होता, उस समय तिब्बत से आने वाला पानी थोड़ी मात्रा में फर्क डाल सकता है।
- भारत के पास जल प्रबंधन की बेहतर व्यवस्था है, खासकर असम और अरुणाचल जैसे राज्यों में।
चीन की योजनाएं क्या हैं?
- चीन यारलुंग त्सांगपो (Brahmaputra का तिब्बती नाम) पर कई हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स बना रहा है।
- हालांकि अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं है कि चीन ने भारत की तरफ पानी की आपूर्ति को रोका है।
- दोनों देशों के बीच ट्रांसबाउंड्री रिवर डेटा शेयरिंग की व्यवस्था भी है।

सरकार की तैयारी क्या है?
- भारत सरकार Brahmaputra River पर निगरानी रखने के लिए एडवांस्ड सैटेलाइट डेटा और ग्राउंड मॉनिटरिंग सिस्टम का उपयोग कर रही है।
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ट्रांसबाउंड्री वाटर शेयरिंग को लेकर बातचीत जारी है।
- असम सरकार ने विशेष रूप से इस मुद्दे को लेकर जागरूकता और निगरानी बढ़ाई है।
Brahmaputra River को लेकर फैलाई जा रही चीन की जल नीति संबंधी थ्योरीज को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने साफ तौर पर खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि चीन का इस नदी पर सीमित नियंत्रण है और भारत को बड़े पैमाने पर चिंता करने की जरूरत नहीं है।
यह बयान न सिर्फ उत्तर-पूर्व भारत के लोगों में भरोसा पैदा करता है,
बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत जल संकट के प्रति सजग और तैयार है।