नई दिल्ली । अमेरिकी टैरिफ की वजह से विश्व में मची आर्थिक उथल-पुथल के बीच ब्राजील (Brazil) के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा के आह्वान पर ब्रिक्स समूह की एक आपातकालीन वर्चुअल बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) शामिल हुए। जबकि भारत की तरफ से विदेश मंत्री डॉ.एस.जयशंकर ने इस बैठक में भाग लिया।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर फोकस
जयशंकर (Jayashankar) ने अपने संबोधन की शुरुआत में ही टैरिफ संकट से पार पाने के लिए समूह को एक जरूरी सुझाव देते हुए कहा कि बीते कुछ वर्षों में दुनिया का सामना भीषण चुनौतियों और संघर्षों से हुआ है। जिन्हें देखते हुए वर्तमान में ब्रिक्स का पूरा ध्यान वैश्विक अर्थव्यवस्था और वर्ल्ड ऑर्डर को स्थिर बनाने पर केंद्रित होना चाहिए।
अमेरिका पर परोक्ष निशाना
अमेरिका का नाम लिए बगैर जयशंकर ने संदेश दिया कि विश्व को रचनात्मकता और सहयोग की भावना के साथ व्यापार को बढ़ावा देना चाहिए। बाधाओं को बढ़ाना और वित्तीय आदान-प्रदान को जटिल बनाना कहीं से भी मददगार साबित नहीं होगा। गौरतलब है कि अमेरिका ने ब्रिक्स देशों पर ही सबसे ज्यादा टैरिफ लगाया है।
संघर्ष और सप्लाई चेन की चिंता
जयशंकर ने कहा कि कोरोना महामारी से लेकर यूक्रेन, मध्य-पश्चिम एशिया में जारी संघर्षों, व्यापार-निवेश संकट और जलवायु संबंधी घटनाओं ने सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) की रफ्तार को धीमा किया है। साथ ही वैश्विक बहुपक्षीय व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। इसलिए अब ब्रिक्स को स्थिरता पर ध्यान देने के साथ संघर्षों पर भी विचार करना होगा।

यूएन सुधार की जरूरत
जयशंकर ने ब्रिक्स देशों का ध्यान न्यूयॉर्क में होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की ओर आकर्षित किया और कहा कि यह बहुपक्षीय सुधारों पर विचार का अवसर है। उन्होंने यूएनएससी और यूएन में सुधार की नितांत आवश्यकता पर जोर दिया।
ग्लोबल साउथ की चुनौतियां
विदेश मंत्री ने कहा कि मौजूदा समय में जारी संघर्षों का तत्काल समाधान जरूरी है। ग्लोबल साउथ के देश खासकर खाद्य, ऊर्जा और उर्वरक संकट से जूझ रहे हैं। जब शिपिंग पर प्रहार होता है तो व्यापार ही नहीं, बल्कि रोज़गार पर भी खतरा आता है।
जलवायु परिवर्तन पर चिंता
जयशंकर ने कहा कि जलवायु कदम और जलवायु न्याय जैसे मुद्दे पिछड़ रहे हैं। इस दिशा में नए विचारों और ठोस कदमों की आवश्यकता है। उन्होंने भारत की पहल जैसे ग्लोबल सोलर अलायंस, सीडीआरआई और ग्लोबल बॉयोफ्यूल अलायंस का उल्लेख भी किया।
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