रूस को चेताने उतरे नाटो देश
वारसॉ: पोलैंड के आसमान में ब्रिटेन(Britain) के लड़ाकू विमानों की उड़ान ने रूस(Russia) के साथ तनाव को और गहरा कर दिया है। नाटो(NATO) की सुरक्षा को मजबूती देने के मिशन के तहत ब्रिटिश एयरफोर्स ने पोलैंड की वायुसीमा में गश्त की। ब्रिटेन का कहना है कि रूसी ड्रोन लगातार पोलैंड की हवाई सीमा का उल्लंघन कर रहे हैं। ऐसे में यह कदम रूस को एक कड़ा संदेश देने के तौर पर देखा जा रहा है।
नाटो एयर डिफेंस मिशन की शुरुआत
ब्रिटेन(Britain) ने रूस की गतिविधियों के जवाब में पोलैंड में दो आरएएफ टाइफून लड़ाकू विमान और एक वॉयेजर विमान तैनात किए हैं। यह मिशन नाटो की पूर्वी सीमा को मजबूत करने की पहल का हिस्सा है। पोलैंड में ड्रोन घुसपैठ की घटनाओं के बाद नाटो ने 10 सितंबर को “ईस्टर्न सेंट्री” अभियान की घोषणा की थी। शुक्रवार रात से ब्रिटिश विमानों ने पोलैंड के एयरस्पेस में ऑपरेशनल गश्त शुरू कर दी है।
ब्रिटिश(Britain) रक्षा मंत्रालय ने बताया कि टाइफून विमानों ने लिंकनशायर स्थित रॉयल एयरफोर्स बेस से उड़ान भरी और पोलैंड की वायुसीमा में प्रवेश किया। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि नाटो के प्रति ब्रिटेन की प्रतिबद्धता अटूट है। इस मिशन में ब्रिटेन के साथ डेनमार्क, फ्रांस और जर्मनी के सैन्य उपकरण भी शामिल किए गए हैं।
यूरोप में तनाव का नया चरण
फरवरी 2022 से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच हाल के दिनों में नाटो देशों के साथ नया विवाद सामने आया है। पोलैंड और रोमानिया ने रूस पर अपनी हवाई सीमा का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। दोनों देशों का कहना है कि रूसी ड्रोन बार-बार उनकी सीमा में दाखिल हो रहे हैं, जिससे खतरा बढ़ गया है।
रूस ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि उसने किसी भी नाटो देश की वायुसीमा का उल्लंघन नहीं किया। इसके बावजूद यूरोप में सतर्कता बढ़ा दी गई है। नाटो सदस्य देश एकजुट होकर पूर्वी सीमाओं की सुरक्षा को और मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं ताकि संभावित खतरों का तुरंत जवाब दिया जा सके।
ब्रिटेन ने पोलैंड में लड़ाकू विमान क्यों भेजे?
ब्रिटेन ने रूस से बढ़ते हवाई खतरों और ड्रोन घुसपैठ की घटनाओं के कारण पोलैंड में टाइफून और वॉयेजर विमान भेजे। इसका उद्देश्य नाटो की पूर्वी सीमा को सुरक्षित करना और रूस को चेतावनी देना है कि गठबंधन किसी भी उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेगा।
“ईस्टर्न सेंट्री” मिशन में कौन-कौन शामिल हैं?
इस नाटो अभियान में ब्रिटेन के अलावा डेनमार्क, फ्रांस और जर्मनी भी सक्रिय भागीदार हैं। इन देशों ने अपने सैन्य संसाधनों को पोलैंड की हवाई सीमा की रक्षा के लिए तैनात किया है ताकि संभावित रूसी खतरे का मिलकर सामना किया जा सके।
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