Breaking News: Crypto Market: क्रिप्टो मार्केट क्रैश: ₹100 लाख करोड़ घटी वैल्यू

By Dhanarekha | Updated: November 21, 2025 • 2:50 PM

बिटकॉइन ₹76 लाख पर आया

नई दिल्ली: ग्लोबल क्रिप्टो मार्केट(Crypto Market) की वैल्यू में पिछले एक महीने में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। अक्टूबर में जो मार्केट वैल्यू $4.28 ट्रिलियन (करीब ₹379 लाख करोड़) थी, वह अब घटकर $2.95 ट्रिलियन (करीब ₹261 लाख करोड़) पर आ गई है। यानी, लगभग एक महीने के भीतर मार्केट से ₹100 लाख करोड़ से अधिक की वैल्यू कम हुई है, जो 30% से अधिक की गिरावट है।

बाज़ार की इस गिरावट में सबसे बड़े हिस्सेदार बिटकॉइन (58% हिस्सेदारी) के मूल्य में भारी कमी आई है, जो अपने उच्चतम स्तर(Highest Level) ₹1.10 करोड़ से गिरकर ₹76 लाख पर पहुँच गया है

गिरावट के मुख्य कारण: मैक्रोइकॉनॉमिक्स और लीवरेज का प्रभाव

बाज़ार विशेषज्ञों के अनुसार, इस बड़ी गिरावट के पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला, मैक्रोइकॉनॉमिक अनिश्चितता और फेडरल रिज़र्व की ब्याज दर नीति पर अनिर्णय। फेड की रेट कट्स पर अस्पष्टता के कारण निवेशकों ने क्रिप्टो जैसे जोखिम भरे एसेट्स में बिकवाली शुरू कर दी। दूसरा, मास डीलीवरेजिंग (Mass Deleveraging) और लिक्विडेशन्स।

जब निवेशक उधार (जैसे 10x लीवरेज) लेकर बड़ी मात्रा में क्रिप्टो खरीदते हैं, तो बाज़ार में थोड़ी सी भी गिरावट आने पर, मार्जिन कॉल के कारण उनकी होल्डिंग्स अपने आप बिक जाती हैं। यह चेन रिएक्शन बिक्री को और तेज़ कर देता है, जिससे दाम और भी तेज़ी से नीचे आते हैं।

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बिटकॉइन और ब्लॉकचेन: डिजिटल सोना और सुरक्षित तकनीक

इसको अक्सर “डिजिटल सोना” कहा जाता है क्योंकि इसकी कुल आपूर्ति 21 मिलियन तक सीमित है, जो इसे सोने की तरह दुर्लभ और कीमती बनाती है। यह किसी भी बैंक या सरकार के नियंत्रण से मुक्त, डीसेंट्रलाइज्ड डिजिटल करेंसी है। बिटकॉइन(Crypto Market) जिस तकनीक पर काम करता है, उसे ब्लॉकचेन कहते हैं। ब्लॉकचेन को एक सार्वजनिक बहीखाता माना जा सकता है जिसमें दुनिया भर के सभी लेनदेन रिकॉर्ड होते हैं। इस बहीखाते को कई नोड्स (कंप्यूटर) द्वारा साझा और सत्यापित किया जाता है, जिससे डेटा पारदर्शी, सुरक्षित और अपरिवर्तनीय बन जाता है।

बिटकॉइन को ‘डिजिटल सोना’ क्यों कहा जाता है, और यह फिएट करेंसी से किस प्रकार अलग है?

इसको ‘डिजिटल सोना’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी कुल संख्या 21 मिलियन तक सीमित है, जो इसे सोने की तरह दुर्लभ और महंगाई के प्रति प्रतिरोधी बनाती है। यह फिएट करेंसी (जैसे रुपये या डॉलर) से अलग है क्योंकि इसे कोई सरकार या बैंक नियंत्रित नहीं करता है, जबकि फिएट करेंसी का मूल्य पूरी तरह से सरकारी आदेश पर निर्भर करता है और सरकारें इसे असीमित मात्रा में छाप सकती हैं।

बिटकॉइन के काम करने में ‘माइनर्स’ की क्या भूमिका होती है?

इसके लेन-देन(Crypto Market) को जांचने और सुरक्षित करने का काम ‘माइनर्स’ करते हैं। वे अपने कंप्यूटरों की ताकत का उपयोग करके जटिल गणितीय समस्याओं को हल करते हैं ताकि लेन-देन को ब्लॉकचेन में एक नए ब्लॉक के रूप में जोड़ा जा सके। इस प्रक्रिया में सफल होने पर, उन्हें इनाम के तौर पर नए बिटकॉइन मिलते हैं, जिससे नए कॉइन प्रचलन में आते हैं।

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