$100 अरब निवेश और आयात शुल्क में कटौती
नई दिल्ली: भारत और यूरोपियन फ्री ट्रेड असोसिएशन (EFTA) ब्लॉक के चार देशों – स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, और लिखटेस्टाइन – के बीच बहुप्रतीक्षित ट्रेड एंड इकनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (TEPA) आज, 1 अक्टूबर 2025 से लागू हो गया है। यह समझौता भारत की व्यापार नीति में एक मील का पत्थर है, क्योंकि यह देश का पहला व्यापार समझौता है जिसमें एक निश्चित समय-सीमा में 100 अरब डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का वादा लिया गया है। EFTA ने अगले 15 वर्षों में यह निवेश करने का वादा किया है, जिससे भारत में लगभग 10 लाख नौकरियों के अवसर पैदा होंगे। इस समझौते की सबसे खास बात यह है कि निवेश का वादा पूरा न होने पर भारत को आयात शुल्क में दी जाने वाली रियायतें घटाने या खत्म करने का अधिकार होगा।
उपभोक्ताओं और उद्योगों पर TEPA का असर
इस समझौते से भारतीय उपभोक्ताओं को सीधा फायदा मिलेगा। स्विस घड़ियाँ, चॉकलेट, बिस्किट, ऑलिव ऑयल, साइकिल, कुछ दवाएँ, इलेक्ट्रॉनिक्स और कट व पॉलिश्ड डायमंड अब बहुत कम या शून्य कस्टम ड्यूटी पर भारत आएंगे। भारत इन उत्पादों पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी को अगले 10 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से समाप्त करेगा। वहीं, भारत ने EFTA को 82.7% प्रोडक्ट कैटेगरीज में रियायती ड्यूटी ऑफर की है, जिसमें 80% से ज्यादा हिस्सा सोने (गोल्ड) का है। हालांकि, भारत ने सोया, कोयला, डेयरी और संवेदनशील कृषि उत्पादों पर रियायती ड्यूटी पर आयात की अनुमति नहीं दी है, जो घरेलू उद्योगों के लिए एक सुरक्षा कवच है।
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सेवा क्षेत्र को मिलेगा बूस्ट और निर्यातकों को अवसर
TEPA समझौता केवल वस्तुओं के व्यापार तक सीमित नहीं है; यह सेवा क्षेत्र को भी एक महत्वपूर्ण बढ़ावा देगा। भारत ने अकाउंटिंग, बिजनेस सर्विसेज, कंप्यूटर सर्विसेज, डिस्ट्रिब्यूशन और हेल्थ सहित 105 सब-सेक्टरों में रियायतें दी हैं, जिससे इन क्षेत्रों में EFTA देशों से निवेश और विशेषज्ञता का प्रवाह होगा। बदले में, EFTA देशों – स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, और लिखटेंस्टाइन – ने लीगल, ऑडियो-विजुअल, आरएंडडी, कंप्यूटर, और ऑडिटिंग सहित विभिन्न सेवा सब-सेक्टरों में भारतीय निर्यातकों के लिए रियायती ड्यूटी ऑफर की है। इसके अतिरिक्त, भारतीय कंपनियों को स्विट्जरलैंड को आधार बनाकर यूरोपियन यूनियन (EU) के विशाल बाजार में अपने कारोबार का विस्तार करने का एक रणनीतिक अवसर मिलेगा।
EFTA देशों ने भारत में निवेश की क्या शर्त रखी है और इस पर भारत ने क्या सुरक्षा उपाय किया है?
EFTA देशों ने अगले 15 वर्षों में भारत में 100 अरब डॉलर (पहले 10 वर्षों में $50 बिलियन और अगले 5 वर्षों में $50 बिलियन) निवेश करने का वादा किया है। इसके जवाब में, भारत ने यह शर्त रखी है कि यदि EFTA यह निवेश का वादा पूरा नहीं करता है, तो भारत के पास आयात शुल्क में दी गई रियायतों को घटाने या खत्म करने का अधिकार होगा।
TEPA समझौते के तहत किन भारतीय उत्पादों और सेवाओं को EFTA देशों में फायदा होगा?
TEPA के तहत, भारतीय निर्यातकों को लीगल, ऑडियो-विजुअल, आरएंडडी, कंप्यूटर, अकाउंटिंग और ऑडिटिंग सहित कई सर्विसेज सेक्टरों में EFTA देशों (स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, और लिखटेंस्टाइन) द्वारा दी गई रियायती ड्यूटी का लाभ मिलेगा। वस्तुओं में, भारत ने मुख्यतः 80% से अधिक सोने (गोल्ड) सहित 82.7% प्रोडक्ट कैटेगरीज में रियायत दी है, जिससे भारतीय निर्यातकों को इन बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।
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