नई व्यवस्था से कर्मचारियों में बढ़ी चिंता
मुंबई: कर्मचारियों के भविष्य निधि(Provident Fund) से जुड़ा एक अहम बदलाव किया गया है। अब कर्मचारी अपने खाते से सिर्फ 75% राशि ही निकाल पाएंगे, जबकि 25% हिस्सा अनिवार्य रूप से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन(EPFO) के पास रहेगा। ईपीएफओ(EPFO) का कहना है कि यह कदम बचत को सुरक्षित रखने और ब्याज दरों के लाभ को बनाए रखने के लिए उठाया गया है। हालांकि, कई कर्मचारियों को यह फैसला बोझिल लग रहा है क्योंकि उन्हें अपनी ही राशि तक सीमित पहुंच मिलेगी।
नई निकासी अवधि और शर्तें
पहले बेरोजगार(Unemployed) होने के दो महीने बाद कर्मचारी पूरी पीएफ राशि निकाल सकते थे, लेकिन अब यह नियम बदल गया है। अब निकासी के लिए 12 महीने का इंतजार करना होगा, वहीं पेंशन की पूरी राशि पाने के लिए 36 महीने तक प्रतीक्षा करनी होगी। इससे निवेशकों को अपने ही पैसे के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
दूसरी ओर, प्रॉविडेंट फंड समेत कई योजनाओं में पहले से ही मैच्योरिटी से पहले निकासी पर बंदिशें हैं। बैंक और पोस्ट ऑफिस योजनाओं की तरह ही, ईपीएफओ ने इसे एक निश्चित लॉक-इन अवधि में रखा है ताकि लोग अपनी बचत को जल्द निकाल न सकें।
फायदे और नुकसान दोनों मौजूद
लॉक-इन सिस्टम से निवेशक अनुशासित बने रहते हैं और चक्रवृद्धि ब्याज का पूरा लाभ उठा सकते हैं। लंबी अवधि में बचत की गई छोटी रकम भी बड़ी पूंजी में बदल जाती है। साथ ही, इस तरह की योजनाओं पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ भी मिलता है।
फिर भी, इस फैसले के नुकसान भी हैं। अगर किसी व्यक्ति को अचानक चिकित्सा आपात स्थिति या नौकरी छूटने जैसी समस्या आ जाए, तो लॉक-इन उसे अपने ही पैसों तक पहुंचने से रोक सकता है। इस कारण से उसे महंगे ब्याज पर कर्ज लेना पड़ सकता है।
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युवाओं के लिए निवेश की चुनौती
आज के युवा निवेशक तेजी से शेयर और म्यूचुअल फंड जैसी योजनाओं की ओर बढ़ रहे हैं, क्योंकि इनमें ज्यादा रिटर्न की संभावना रहती है। उनके लिए प्रॉविडेंट फंड पर लॉक-इन एक बाधा की तरह है, जो निवेश की लचीलापन कम कर देता है।
हालांकि, सरकार का कहना है कि लॉक-इन बचत की आदत को मजबूत करता है। फिर भी विशेषज्ञों का मानना है कि ईपीएफओ को कुछ परिस्थितियों में पेनल्टी के साथ निकासी की अनुमति देनी चाहिए ताकि निवेशक आपात जरूरतों में अपने धन का उपयोग कर सकें।
क्या इस नए नियम से ब्याज दर पर असर पड़ेगा?
ईपीएफओ ने स्पष्ट किया है कि इस बदलाव से ब्याज दर में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। बल्कि, कर्मचारियों को लंबी अवधि के निवेश पर पहले से बेहतर ब्याज दर मिल सकती है क्योंकि फंड का निवेश समय बढ़ेगा।
क्या अब पूरी राशि निकालना संभव नहीं रहेगा?
नए नियम के तहत नौकरी के दौरान पूरी राशि निकालना संभव नहीं होगा। कर्मचारी अधिकतम 75% राशि ही निकाल पाएंगे और बाकी 25% हिस्सा रिटायरमेंट तक जमा रहेगा, जिससे भविष्य की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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