Ethanol Tax Hike से पंजाब, हरियाणा और हिमाचल में हड़कंप, मैन्युफैक्चरर्स ने जताई नाराज़गी
तीनों उत्तरी राज्यों — पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश — में हाल ही में इथेनॉल पर Excise Duty और State Tax बढ़ा दिया गया है। इस Ethanol Tax Hike के चलते क्षेत्र की इथेनॉल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में भारी असंतोष फैल गया है। कंपनियों का कहना है कि इससे न केवल उनकी उत्पादन लागत बढ़ेगी, बल्कि सरकार की इथेनॉल मिश्रण नीति (Ethanol Blending Policy) पर भी बुरा असर पड़ेगा।
इथेनॉल कर वृद्धि कितना और क्यों बढ़ा टैक्स?
- पंजाब सरकार ने इथेनॉल पर ₹2–₹3 प्रति लीटर अतिरिक्त कर लगाया
- हरियाणा में State Excise Duty में 10% की बढ़ोतरी की गई
- हिमाचल प्रदेश ने Environmental Cess के रूप में नई दरें लागू कीं
Ethanol Tax Hike का मकसद भले ही राजस्व बढ़ाना हो, लेकिन इसका सीधा असर छोटे और मध्यम इथेनॉल निर्माताओं पर पड़ा है।
Ethanol मैन्युफैक्चरर्स क्यों हैं नाखुश?
इथेनॉल उत्पादकों ने एक सुर में कहा:
- कच्चे माल की लागत पहले से ही अधिक है
- टैक्स बढ़ने से प्रति लीटर उत्पादन में ₹4–₹5 का नुकसान
- केंद्र सरकार की E20 नीति के तहत मांग बढ़ने के बावजूद उत्पादन घटेगा
- सरकार से टैक्स वापसी या रियायत की मांग
इथेनॉल कर वृद्धि से किन क्षेत्रों पर पड़ेगा प्रभाव?
- इथेनॉल उत्पादन घटेगा, जिससे पेट्रोल में ब्लेंडिंग पर असर
- चीनी मिलों और डिस्टिलरी यूनिट्स को आर्थिक झटका
- केंद्र की ग्रीन एनर्जी नीति को बाधा
- कृषि क्षेत्र पर भी असर, क्योंकि गन्ना किसान प्रभावित होंगे
Ethanol Tax Hike के बाद कुछ कंपनियों ने उत्पादन रोकने की चेतावनी भी दी है।
क्या कहती है इंडस्ट्री एसोसिएशन?
All India Distillers Association और इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) ने राज्य सरकारों से आग्रह किया है:
“यह कदम केंद्र की रणनीति के विपरीत है। टैक्स में कटौती कर उद्योग को राहत दी जाए।”
Ethanol Tax Hike से विकास की रफ्तार को झटका
जहां एक ओर केंद्र सरकार इथेनॉल को वैकल्पिक ईंधन के रूप में बढ़ावा दे रही है, वहीं राज्यों द्वारा Ethanol Tax Hike किए जाने से पूरी आपूर्ति श्रृंखला पर खतरा मंडराने लगा है। यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो इससे ईंधन मिश्रण लक्ष्य, कृषि अर्थव्यवस्था और उद्योग जगत तीनों पर विपरीत असर पड़ेगा।