Forex: विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट

By Dhanarekha | Updated: August 30, 2025 • 9:00 AM

एक सप्ताह में चार अरब डॉलर घटे

मुंबई: भारत(India) के विदेशी मुद्रा भंडार(Forex) में एक सप्ताह के भीतर बड़ी कमी दर्ज की गई है। 22 अगस्त 2025 को समाप्त सप्ताह के दौरान भंडार $4.386 बिलियन घटकर $690.720 बिलियन रह गया। इससे पहले 15 अगस्त को समाप्त सप्ताह में इसमें $1.488 बिलियन की बढ़ोतरी हुई थी। इस गिरावट का असर विदेशी मुद्रा आस्तियों, स्वर्ण भंडार और विशेष आहरण अधिकार(SDR) सभी पर दिखाई दिया है

रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े

भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) की रिपोर्ट के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार(Forex) में यह भारी कमी दर्ज हुई है। अब यह भंडार घटकर $690.720 बिलियन पर पहुंच गया है, जबकि सितंबर 2024 में यह $704.885 बिलियन के उच्चतम स्तर पर था। इससे स्पष्ट है कि पिछले एक वर्ष में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है।

विदेशी मुद्रा आस्तियों में $3.652 बिलियन की कमी हुई है। पहले यह $1.924 बिलियन बढ़ा था, लेकिन अब घटकर $582.251 बिलियन रह गया। FCA कुल विदेशी मुद्रा भंडार(Forex) का सबसे बड़ा हिस्सा होता है, जिसमें यूरो, पौंड और येन जैसी प्रमुख मुद्राओं के उतार-चढ़ाव का सीधा प्रभाव पड़ता है।

सोने और एसडीआर भंडार में कमी

स्वर्ण भंडार में भी गिरावट दर्ज हुई है। 22 अगस्त 2025 को समाप्त सप्ताह में सोने का भंडार $464 मिलियन घटकर $85.003 बिलियन रह गया। इससे पहले भी इसमें $493 मिलियन की गिरावट आई थी, जिससे लगातार दो सप्ताह तक कमी देखने को मिली है।

इसी प्रकार विशेष आहरण अधिकार यानी SDR में भी $23 मिलियन की कमी हुई। अब यह घटकर $18.736 बिलियन रह गया है। इसके साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास रखे गए रिजर्व भंडार में भी $23 मिलियन की कमी आई और यह $4.731 बिलियन पर आ गया है।

विदेशी मुद्रा भंडार घटने का कारण क्या है?

भंडार में गिरावट का मुख्य कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों, सोने और एसडीआर में कमी है। साथ ही वैश्विक मुद्राओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव और आयात-निर्यात की स्थिति ने भी इस पर असर डाला है।

अभी भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार कितना है?

22 अगस्त 2025 को समाप्त सप्ताह तक भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार घटकर $690.720 बिलियन रह गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में कम है।

विदेशी मुद्रा आस्तियों का महत्व क्यों है?

FCA कुल विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा है। इसमें डॉलर के अलावा यूरो, पौंड और येन जैसी मुद्राएं शामिल होती हैं। इनकी कीमत में उतार-चढ़ाव भंडार पर सीधा प्रभाव डालता है।

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