पूर्व प्रधानमंत्री की दौलत को लेकर सवाल
नई दिल्ली: बांग्लादेश(Bangladesh) की अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना(Sheikh Hasina) को एक विशेष न्यायाधिकरण ने ‘मानवता विरुद्ध अपराधों’ के आरोप में मौत की सजा सुनाई, जिसके बाद उनकी संपत्ति और आय के स्रोतों पर नए सवाल उठ रहे हैं। पिछले वर्ष सरकार गिरने के बाद से वह भारत(India) में रह रही हैं। कोर्ट ने उन्हें अनुपस्थिति में दोषी ठहराया और कहा कि विरोध प्रदर्शनों पर हुए घातक बल के पीछे उनकी भूमिका साबित होती है। इसी पृष्ठभूमि में उनकी वित्तीय स्थिति फिर चर्चा में आ गई है।
विरोध प्रदर्शनों का मामला और अदालत का निर्णय
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के अनुमान के अनुसार, ‘जुलाई विद्रोह’ के दौरान लगभग 1,400 लोगों की मौत हुई थी। आरोप है कि हसीना(Hasina) ने निहत्थे छात्रों पर कार्रवाई की अनुमति दी, जिसके चलते उन्हें पहले भगोड़ा घोषित किया गया और बाद में मौत की सजा दी गई। ढाका की अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने पिछले वर्ष 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच हुई घटनाओं में उनकी सीधी भूमिका प्रमाणित कर दी है।
पिछली सरकार गिरने के बाद हसीना(Hasina) भारत आ गईं। वह लंबे समय तक दक्षिण एशिया की प्रभावशाली महिला नेताओं में गिनी जाती थीं। राजनीति के साथ-साथ उनका आर्थिक पक्ष भी चर्चा में रहा, क्योंकि वह करोड़ों की संपत्ति की मालकिन हैं। उनकी आय सिर्फ वेतन तक सीमित न होकर विभिन्न निवेशों और कृषि से भी आती थी।
संपत्ति, आय और निवेश का विवरण
रिपोर्टों के अनुसार, प्रधानमंत्री रहते हुए उनका वार्षिक वेतन लगभग 9,92,922 रुपये था। चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में उन्होंने बताया था कि उनकी कुल संपत्ति लगभग 4.36 करोड़ बांग्लादेशी टका यानी लगभग ₹3.14 करोड़ भारतीय रुपये थी। 2022 में उनकी कुल घोषित आय 1,00,000 टका थी, जिसमें कृषि और भूमि से होने वाली कमाई महत्त्वपूर्ण हिस्सा रखती थी। यह आय 2018 की तुलना में काफी अधिक थी।
उनके पास 6 एकड़ कृषि भूमि, मछली पालन से होने वाली आय, तथा फिक्स्ड डिपॉजिट और सेविंग बॉन्ड में निवेश था। इसके अतिरिक्त, उन्हें एक कार उपहार में मिली थी, जो उनकी संपत्तियों में जोड़ी गई। इन सभी आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि हसीना के पास विविध स्रोतों से मजबूत वित्तीय आधार मौजूद था।
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परिवारिक पृष्ठभूमि और निजी जीवन
शेख हसीना के परिवार का इतिहास त्रासद घटनाओं से भरा रहा है। 15 अगस्त 1975 को उनके पिता और बांग्लादेश के संस्थापक राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान के साथ परिवार के कई सदस्य मारे गए थे। हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना तभी बच पाईं क्योंकि वे विदेश में थीं। छह वर्ष निर्वासन में रहने के बाद वह 1981 में स्वदेश लौटीं।
उनके पति एमए वाजिद प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी थे और बांग्लादेश परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष भी रहे। उनका 2009 में निधन हो गया। हसीना के दो बच्चे हैं—सजीब वाजिद जॉय, जो व्यवसायी तथा राजनीतिज्ञ हैं, और साइमा वाजिद, जो सामाजिक कार्यों से जुड़ी हैं।
शेख हसीना की कुल संपत्ति को लेकर विवाद क्यों बढ़ा?
राजनीतिक घटनाओं और अदालत के फैसले के बाद उनकी घोषित संपत्ति, आय और निवेशों पर नए प्रश्न उठे हैं। विरोध प्रदर्शनों में उनकी कथित भूमिका को लेकर बढ़ती जांच ने इन वित्तीय विवरणों को और अधिक चर्चा में ला दिया है। यही कारण है कि उनके आर्थिक स्रोतों की पारदर्शिता दोबारा मुद्दा बन गई है।
क्या हसीना की पारिवारिक पृष्ठभूमि ने उनके राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाया?
उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान के राष्ट्रीय योगदान ने परिवार की राजनीतिक पहचान को गहरा बनाया। त्रासदी के बावजूद हसीना ने लंबे समय तक बांग्लादेश की राजनीति में प्रभाव बनाए रखा। उनके अनुभव, नेटवर्क और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ने उन्हें क्षेत्र की मजबूत नेताओं में शामिल किया।
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