UPI सुरक्षा में चूक पड़ सकती है भारी!

By Surekha Bhosle | Updated: June 22, 2025 • 9:22 PM

NPCI ने 2020 में UPI ऑटो-पे फीचर शुरू किया, जो नियमित भुगतानों को और आसान बनाता है. इस फीचर के तहत यूजर की सहमति से मोबाइल रिचार्ज, बिजली बिल, क्रेडिट कार्ड बिल, इंश्योरेंस प्रीमियम या लोन की EMI जैसी राशि तय तारीख पर अपने आप कट जाती है लेकिन साइबर अपराधी इस सुविधा का फायदा उठाकर लोगों को ठग रहे हैं।

भारत में डिजिटल भुगतान की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ रही है. यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने न केवल भुगतान प्रक्रिया को सरल बनाया है, बल्कि इसे हर घर की जरूरत बना दिया है. बिल भुगतान से लेकर छोटे-मोटे लेनदेन तक, UPI लोगों की पहली पसंद बन चुका है. हालांकि, इसकी सुविधा के साथ-साथ साइबर अपराध के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं. इनमें UPI ऑटो-पे स्कैम एक नया और खतरनाक खतरा बनकर उभरा है. आइए, इस स्कैम के बारे में विस्तार से जानते हैं और ये भी कि इससे कैसे बचा जा सकता है।

UPI पर 23.48 लाख करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के अनुसार, वर्ष 2024 में UPI के माध्यम से लगभग 20.64 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन दर्ज किए गए. जनवरी 2025 में यह आंकड़ा और बढ़ा, जब 16.99 अरब ट्रांजैक्शन के साथ 23.48 लाख करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन हुआ. ये आंकड़े UPI की लोकप्रियता को दर्शाते हैं, लेकिन इसके साथ ही साइबर ठगी के मामले भी सामने आ रहे हैं. साइबर अपराधी UPI की सहूलियतों का दुरुपयोग कर लोगों को निशाना बना रहे हैं।

साइबर अपराधी UPI ऑटो-पे का उठा रहे फायदा

UPI की खासियत है कि यह QR कोड या UPI ID के जरिए तुरंत भुगतान की सुविधा देता है. इसी तरह, NPCI ने 2020 में UPI ऑटो-पे फीचर शुरू किया, जो नियमित भुगतानों को और आसान बनाता है. इस फीचर के तहत यूजर की सहमति से मोबाइल रिचार्ज, बिजली बिल, क्रेडिट कार्ड बिल, इंश्योरेंस प्रीमियम या लोन की EMI जैसी राशि तय तारीख पर अपने आप कट जाती है. इससे समय पर भुगतान सुनिश्चित होता है और देरी से होने वाली पेनल्टी से बचा जा सकता है. लेकिन साइबर अपराधी इस सुविधा का फायदा उठाकर लोगों को ठग रहे हैं।

UPI ऑटो-पे पर स्कैम के कई तरीके

साइबर ठग UPI ऑटो-पे रिक्वेस्ट का इस्तेमाल कर लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं. उनके कुछ प्रमुख हथकंडे इस प्रकार हैं:

1. फर्जी लिंक और मैसेज

अपराधी SMS, ईमेल या सोशल मीडिया के जरिए फर्जी लिंक भेजते हैं. इन लिंक्स पर क्लिक करते ही यूजर के खाते से पैसे कटने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. कई बार ये लिंक ऑटो-पे रिक्वेस्ट को स्वीकार करने के लिए डिजाइन किए जाते हैं, जिससे हर महीने खाते से पैसे कटते रहते हैं।

2. बैंक अधिकारी बनकर कॉल

स्कैमर खुद को बैंक या UPI कस्टमर केयर अधिकारी बताकर फोन करते हैं. वे यूजर को ऑटो-पे सक्रिय करने के लिए UPI पिन या OTP डालने के लिए कहते हैं. जैसे ही यूजर पिन डालता है, खाता खाली हो जाता है।

3. सस्ते सब्सक्रिप्शन का लालच

कई बार सस्ते सब्सक्रिप्शन या ऑफर के नाम पर यूजर को ऑटो-पे रिक्वेस्ट स्वीकार करने के लिए उकसाया जाता है. एक बार रिक्वेस्ट स्वीकार होने के बाद हर महीने खाते से पैसे कटने की सेटिंग हो जाती है, और यूजर को इसका पता भी नहीं चलता।

4. कैशबैक और डिस्काउंट का झांसा

कैशबैक, डिस्काउंट या अन्य लुभावने ऑफर के बहाने यूजर को ऑटो-पे रिक्वेस्ट स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाता है. अनजान रिक्वेस्ट स्वीकार करते ही ठगी हो जाती है।

ठगी से बचाव के उपाय

UPI ऑटो-पे स्कैम से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है

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