Breaking News: Patanjali: पतंजलि के विवादित विज्ञापन पर दिल्ली हाईकोर्ट की आपत्ति

By Dhanarekha | Updated: November 6, 2025 • 3:32 PM

च्यवनप्राश को ‘धोखा’ कहने पर फैसला सुरक्षित

मुंबई: पतंजलि(Patanjali) द्वारा अपने नए च्यवनप्राश विज्ञापन में अन्य ब्रांडों को “धोखा” कहे जाने के कारण कंपनी एक बार फिर विवादों में घिर गई है। डाबर इंडिया ने इस विज्ञापन को लेकर पतंजलि के खिलाफ मानहानि और अनुचित प्रतिस्पर्धा (Unfair Competition) का मामला दर्ज कराया है। गुरुवार (6 नवंबर) को दिल्ली हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान, जस्टिस तेजस करिया ने पतंजलि(Patanjali) के सीनियर एडवोकेट से कड़े सवाल किए।

कोर्ट ने टिप्पणी की कि विज्ञापन में दूसरे ब्रांड्स को “धोखा” कहना गलत, नकारात्मक और अपमानजनक है। जस्टिस करिया ने सुझाव दिया कि “धोखा” के बजाय “कम गुणवत्ता वाला” (Inferior) जैसे शब्द का इस्तेमाल किया जा सकता है। कोर्ट ने फ़िलहाल विज्ञापन पर अंतरिम रोक लगाने के संबंध में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है

डाबर और पतंजलि के कानूनी तर्क

कोर्ट में डाबर का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट संदीप सेठी ने तर्क दिया कि “धोखा” शब्द अपने आप में ही अपमानित करने वाला है और यह पूरे उत्पाद श्रेणी को बदनाम करता है। उन्होंने जोड़ा कि बाबा रामदेव जैसे योग गुरु के मुख से यह बात निकलने से इसकी गंभीरता और बढ़ जाती है, क्योंकि लोग उन्हें सच्चाई का प्रतीक मानते हैं। डाबर ने दावा किया कि उनके उत्पाद वैधानिक धर्मग्रंथों के अनुरूप बनते हैं और इस ऐड से ग्राहकों में पैनिक फैल रहा है।

इसके जवाब में, पतंजलि के सीनियर एडवोकेट राजीव नायर ने विज्ञापन को ‘पफरी’ (मार्केटिंग में बढ़ा-चढ़ाकर बोलना) बताते हुए बचाव किया। उन्होंने कहा कि चूंकि ऐड में डाबर का नाम नहीं लिया गया है, इसलिए उन्हें अतिसंवेदनशील होने की ज़रूरत नहीं है। पतंजलि ने यह भी तर्क दिया कि वह सिर्फ यह कह रहे हैं कि उनके अलावा अन्य च्यवनप्राश इनइफेक्टिव (अप्रभावी) हैं, और ऐसा कहना किसी नियम का उल्लंघन नहीं है।

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बाज़ार में डाबर की मज़बूत स्थिति और पुराने विवाद

पतंजलि(Patanjali) का यह नया विज्ञापन दावा करता है कि “ज़्यादातर लोग च्यवनप्राश के नाम पर धोखा खा रहे हैं” और पतंजलि(Patanjali) ही असली आयुर्वेदिक शक्ति वाला है। हालांकि, 2014 में सरकार ने पतंजलि के ऐसे कुछ दावों को गुमराह करने वाला बताया था, और ‘स्पेशल’ शब्द का उपयोग ड्रग्स रूल्स के खिलाफ माना गया था। दूसरी ओर, डाबर 1949 से च्यवनप्राश बाज़ार में है और उसके पास 61% का बड़ा मार्केट शेयर है। यह पहली बार नहीं है जब पतंजलि किसी विज्ञापन विवाद में फंसी है; इससे पहले भी एक मामले में कोर्ट ने पतंजलि को 40 हर्ब्स वाले फॉर्मूला को सीधे टारगेट करने से रोका था। पतंजलि ने तर्क दिया है कि बाज़ार में लीडर होने के कारण डाबर परेशान है।

पतंजलि के च्यवनप्राश विज्ञापन में किस शब्द के इस्तेमाल पर डाबर इंडिया ने मानहानि का केस दर्ज कराया है?

विज्ञापन में ‘धोखा’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था, जिसके खिलाफ डाबर इंडिया ने मानहानि और अनुचित प्रतिस्पर्धा का केस दर्ज कराया है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि को ‘धोखा’ शब्द के स्थान पर कौन सा शब्द इस्तेमाल करने का सुझाव दिया?

दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि को ‘धोखा’ शब्द के स्थान पर ‘कम गुणवत्ता वाला’ या ‘इनफीरियर’ शब्द का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया, यह कहते हुए कि ‘धोखा’ एक नकारात्मक और अपमानजनक शब्द है।

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