Breaking News: RBI: समय पर बिल चुकाने वालों को लाभ

By Dhanarekha | Updated: October 10, 2025 • 8:41 AM

क्रेडिट कार्ड यूजर्स के लिए बड़ा प्रस्ताव

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) ने लोन देने की प्रक्रिया को सरल और ग्राहकों के व्यवहार आधारित बनाने की दिशा में एक अहम प्रस्ताव जारी किया है। नए नियमों के तहत, जो क्रेडिट कार्ड(credit card) उपयोगकर्ता समय पर अपने बिल का भुगतान करते हैं, उन्हें अब विशेष लाभ मिलेगा। आरबीआई का उद्देश्य कर्ज चुकाने की संस्कृति को प्रोत्साहित करना और बैंकों के लिए पूंजीगत दबाव को कम करना है, ताकि अधिक लोगों को आसानी से लोन मिल सके

क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ताओं को मिलेगा फायदा

ड्राफ्ट नियमों के अनुसार, जिन कार्ड धारकों ने पिछले 12 महीनों में अपने सभी बिल पूरे चुकाए हैं, उन्हें रेगुलेटरी रिटेल पोर्टफोलियो में रखा जाएगा। इससे उन पर लागू ‘रिस्क वेटेज’ 125% से घटकर 75% कर दिया जाएगा। इसका मतलब है कि बैंकों को इन ग्राहकों के लिए कम पूंजी रखनी होगी और वे ऐसे भरोसेमंद ग्राहकों को बढ़ावा देंगे। अन्य ग्राहकों के लिए रिस्क वेटेज 125% ही रहेगा।

होम लोन नियमों में नए बदलाव

होम लोन(Home Loan) के मामले में आरबीआई(RBI) ने रिस्क वेटेज को लोन-टू-वैल्यू अनुपात और मौजूदा लोन की संख्या से जोड़ने का प्रस्ताव दिया है। दो हाउसिंग लोन तक के लिए रिस्क वेटेज 20% से (अगर LTV 50% है) 40% तक (अगर LTV 80% से अधिक है) रहेगा। तीसरे लोन पर यह 60% तक जा सकता है। इसके अतिरिक्त 3 करोड़ रुपये से अधिक के लोन पर 5% का अतिरिक्त चार्ज लगेगा। वर्तमान में 35-50% का समान रिस्क वेटेज लागू है।

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पर्सनल लोन पर सख्ती जारी

आरबीआई(RBI) ने स्पष्ट किया है कि एजुकेशन, हाउसिंग और व्हीकल लोन को छोड़कर अन्य सभी पर्सनल लोन पर 125% रिस्क वेटेज जारी रहेगा। यह कदम बैंकों की जोखिम प्रबंधन क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ उनके फंड उपयोग को अधिक कुशल बनाएगा। साथ ही, इससे डिफॉल्ट व्यवहार और वास्तविक एसेट परफॉरमेंस के बीच बेहतर तालमेल बनेगा।

समय पर भुगतान करने वालों को यह लाभ क्यों मिलेगा?

जो ग्राहक समय पर अपने बिल चुकाते हैं, वे बैंकों के लिए कम जोखिम वाले माने जाते हैं। इस कारण उन्हें कम रिस्क वेटेज दिया जाएगा, जिससे बैंक भी ऐसे ग्राहकों को और आसानी से क्रेडिट कार्ड या लोन उपलब्ध कराएंगे।

होम लोन नियमों में बदलाव का असर क्या होगा?

नए नियमों से बड़े लोन लेने वालों पर थोड़ा अधिक बोझ बढ़ेगा, लेकिन जिम्मेदार और नियमित भुगतान करने वालों के लिए ब्याज दरों में स्थिरता आ सकती है। इससे आवास क्षेत्र में वित्तीय अनुशासन मजबूत होगा।

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