RBI: ने खरीद डाला 57.5 टन सोना, कौन सा भंडार भर रहा है भारत

By digital@vaartha.com | Updated: April 26, 2025 • 10:59 AM

भारतीय रिजर्व बैंक ने अब तक सबसे ज्यादा सोने की खरीद वित्त वर्ष 2021-22 में की थी, जब कुल 66 टन सोना भंडार में जोड़ा गया।

भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक कुल 57.5 टन सोना खरीदा है, जिससे देश का कुल स्वर्ण भंडार बढ़कर 879.6 टन हो गया है। यह खरीद पिछले सात वर्षों में दूसरी सबसे बड़ी वार्षिक खरीद मानी जा रही है। सोने को हमेशा से सेफ हेवन यानी मुसीबत के समय काम आने वाली चीज के रूप में देखा जाता है। आम लोगों के साथ साथ अब रिजर्व बैंक भी अपना गोल्ड भंडार बढ़ा रहा है। इसके पीछे आरबीआई की रणनीति है कि वह अपने विदेशी मुद्रा भंडार को विविध बनाकर, जोखिमों से सुरक्षित रखना चाहता है।

बार-बार सोना क्यों खरीद रहा है आरबीआई सोना?


आरबीआई की यह खरीदारी वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और डॉलर की स्थिति को ध्यान में रखते हुए की गई है। दुनिया भर में कई केंद्रीय बैंक अमेरिकी डॉलर की अस्थिरता और पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं के दबाव के कारण अपने भंडार में सोने का हिस्सा बढ़ा रहे हैं। भारत भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है ताकि अपने भंडार को मजबूत और संतुलित बना सके।

कब-कब ख़रीदा सोना?


रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई ने अब तक सबसे ज्यादा सोने की खरीद वित्त वर्ष 2021-22 में की थी, जब कुल 66 टन सोना भंडार में जोड़ा गया। इसके बाद 2022-23 में 35 टन और 2023-24 में 27 टन सोना खरीदा गया।

वित्त वर्ष 2024-25 में भी सोने की खरीद ने रफ्तार पकड़ी है। इस ट्रेंड के पीछे वैश्विक स्तर पर बढ़ती अनिश्चितता और डॉलर की अस्थिरता प्रमुख वजह मानी जा रही है। नवंबर 2024 में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति चुने जाने के बाद डॉलर में लगातार उतार-चढ़ाव देखा गया, जिससे निवेशकों का रुझान एक बार फिर सुरक्षित विकल्प माने जाने वाले सोने की ओर बढ़ा है। आरबीआई की यह रणनीति भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को विविधता देने और वैश्विक जोखिमों से बचाव के लिए अहम मानी जा रही है।

कहां रखा है भारत का सोना?


बता दें कि देश का अधिकांश स्वर्ण भंडार इंग्लैंड और अन्य विदेशी बैंकों में रखा गया है। वर्ष 2024 की पहली तिमाही में भारत उन शीर्ष देशों में शामिल रहा है जिन्होंने सबसे अधिक मात्रा में सोना खरीदा। यह कदम वैश्विक बाजार में सोने की कीमतों में आई तेजी के बावजूद उठाया गया है।

मुसीबत में कैसे आएगी काम?


विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई की यह नीति न केवल आर्थिक स्थिरता बढ़ाएगी बल्कि अंतरराष्ट्रीय लेन-देन और विदेशी कर्ज के जोखिम को भी कम करेगी। इसके अलावा, यह भारतीय रुपये को वैश्विक स्तर पर मज़बूती देने की दिशा में एक अहम रणनीतिक प्रयास भी माना जा रहा है।

कुल मिलाकर, आरबीआई की ओर से इतनी बड़ी मात्रा में सोने की खरीद को भारत की दीर्घकालिक आर्थिक रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है, जिसका उद्देश्य है वैश्विक वित्तीय अस्थिरता से देश की अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखना और विदेशी मुद्रा भंडार को संतुलित बनाए रखना।

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