Breaking News: RBI: RBI गवर्नर की स्पष्ट राय

By Dhanarekha | Updated: November 17, 2025 • 2:22 PM

भारतीय अर्थव्यवस्था की मज़बूती और चुनौतियाँ

मुंबई: आरबीआई(RBI) गवर्नर संजय मल्होत्रा ने वैश्विक मंदी, भू-राजनीतिक तनाव और सप्लाई चेन में बाधाओं जैसी चुनौतियों के बीच एक साल का कार्यकाल पूरा करने की बात कही। इन बाहरी झटकों से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए आरबीआई(RBI) ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनमें विदेशी मुद्रा भंडार(Foreign Exchange Reserves) को मजबूत रखना, रेपो रेट में 1% कटौती, और बैंकों को पर्याप्त नकदी (लिक्विडिटी) मुहैया कराना शामिल है।

गवर्नर ने स्पष्ट किया कि भारत की नीतियां अन्य देशों से प्रभावित नहीं होतीं। इसी रुख के तहत, आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने के किसी भी प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, लेकिन सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को एक सुरक्षित और भरोसेमंद डिजिटल मुद्रा के रूप में बढ़ावा देने का पक्ष लिया है। उनका मानना ​​है कि CBDC सीमा पार भुगतान को आसान बनाएगी

बैंकिंग क्षेत्र में मर्जर का समर्थन और महंगाई पर दृष्टिकोण

गवर्नर मल्होत्रा ​​ने सरकार द्वारा बैंकों के मर्जर (विलय) की योजना का पूर्ण समर्थन किया। उनका मानना ​​है कि बड़े बैंक बेहतर बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर सकते हैं, उनकी लागत कम होती है, और वे सस्ते लोन ऑफर करने में भी सक्षम हो सकते हैं। बड़े बैंकों की पहुंच बेहतर होती है और वे बाहरी आर्थिक झटके झेलने में अधिक सक्षम होते हैं, हालांकि छोटे बैंकों की अहमियत भी बनी रहेगी।

महंगाई के सवाल पर उन्होंने बताया कि रिटेल महंगाई दर (4% लक्ष्य से नीचे) मुख्य रूप से खाने-पीने की चीज़ों के दाम घटने का परिणाम है। कोर इन्फ्लेशन अब भी लगभग 4% के आसपास है। उन्होंने संकेत दिया कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) उभरती आर्थिक स्थितियों को देखते हुए नीतिगत दर पर निर्णय लेगी, लेकिन मूल्य स्थिरता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित रहेगा।

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मजबूत कॉर्पोरेट सेक्टर, रुपये पर दबाव और एनपीए में सुधार

आरबीआई(RBI) गवर्नर ने कहा कि भारतीय कंपनियां मजबूत बैलेंस शीट, कैश और मुनाफे के साथ आगे बढ़ रही हैं, जिससे तेज ग्रोथ जारी रहने की उम्मीद है। बेरोजगारी दर में कमी (2017-18 के 6% से घटकर 2023-24 में 3.2%) आना अर्थव्यवस्था में सकारात्मक सुधार का संकेत है। रुपये के डॉलर के मुकाबले 88 के निचले स्तर पर फिसलने के बावजूद, आरबीआई का दृष्टिकोण अत्यधिक उतार-चढ़ाव को कम करने का रहा है, न कि किसी विशेष स्तर को लक्ष्य बनाने का।

उन्होंने अमेरिकी टैरिफ के भारत पर मामूली असर की बात कही, क्योंकि देश का बाहरी क्षेत्र मजबूत है। गैर-निष्पादित आस्तियों (NPA) पर उन्होंने बताया कि मार्च 2018 के 11.2% से ग्रॉस एनपीए मार्च 2025 तक घटकर 2.3% रह गया है, जो बैंकिंग सिस्टम की एसेट क्वालिटी में व्यापक सुधार को दर्शाता है।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा के अनुसार, भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर आरबीआई का वर्तमान रुख क्या है और क्यों?

आरबीआई(RBI) गवर्नर के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी को मुद्रा के रूप में मान्यता देने का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है, और आरबीआई का रुख सतर्क बना हुआ है। इसका मुख्य कारण यह है कि भारत जैसे संप्रभु देश की नीतियां दूसरे देशों में क्या हो रहा है, उससे तय नहीं होती हैं। आरबीआई इसके बजाय सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को बढ़ावा देने के पक्ष में मजबूती से कायम है।

हाल के वर्षों में बैंकों की एसेट क्वालिटी (परिसंपत्ति गुणवत्ता) में क्या सुधार हुआ है?

हाल के वर्षों में एसेट क्वालिटी में व्यापक सुधार हुआ है। मार्च 2018 में ग्रॉस एनपीए (GNPA) 11.2% था, जो मार्च 2025 तक घटकर 2.3% रह गया है। इसी तरह, नेट एनपीए भी 5.96% से घटकर 0.5% रह गया है। यह सुधार स्थापित रिजॉल्युशन फ्रेमवर्क (समाधान ढांचे) के कारण आया है, जो तनावग्रस्त लोन एसेट से प्रभावी ढंग से निपटने में मदद करता है।

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