Breaking News:Russia:रूस के साथ भारत बनाएगा सिविल एयरक्राफ्ट SJ-100

By Dhanarekha | Updated: October 28, 2025 • 3:40 PM

HAL की ‘मेक इन इंडिया’ उड़ान

नई दिल्ली: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने रूस(Russia) की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (PJSC-UAC) के साथ एक ऐतिहासिक एमओयू (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत रूस(Russia) का सिविल कम्यूटर एयरक्राफ्ट SJ-100 अब भारत में भी बनाया जाएगा। यह समझौता 28 अक्टूबर 2025 को मॉस्को में HAL के डाइवर्सिफिकेशन और ‘मेक इन इंडिया’ पहल का हिस्सा है। SJ-100 एक नैरो-बॉडी, दो इंजन वाला कम्यूटर प्लेन है, जो 75 से 100 यात्रियों को 100-500 किमी की शॉर्ट-हॉल फ्लाइट्स के लिए ले जाने में सक्षम है। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि 1988 में AVRO HS748 प्रोजेक्ट बंद होने के बाद, भारत में पूरा पैसेंजर एयरक्राफ्ट बनाने का यह पहला बड़ा प्रोजेक्ट है

UDAN स्कीम के लिए गेम-चेंजर और भारत के 4 फायदे

HAL का दावा है कि SJ-100 का लोकल मैन्युफैक्चरिंग भारत की UDAN (‘उड़े देश का आम नागरिक’) स्कीम के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा। यह पार्टनरशिप देश की आयात पर 90% निर्भरता को कम करेगी और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को मजबूत करेगी।

भारत के लिए इसके 4 मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं:
रीजनल कनेक्टिविटी में क्रांति: अगले 10 वर्षों में भारत को 200+ ऐसे छोटे जेट्स की आवश्यकता है। SJ-100, UDAN स्कीम के तहत बन रहे 100+ नए एयरपोर्ट्स (जैसे गोरखपुर, देवघर) की लाइफलाइन बनेगा।
रोजगार और कौशल विकास: लोकल मैन्युफैक्चरिंग से हजारों नौकरियां पैदा होंगी। इंजीनियर्स और टेक्नीशियनों के लिए स्किल्स को बढ़ावा मिलेगा।
आयात पर निर्भरता कम: ‘मेक इन इंडिया’ के तहत उत्पादन होने से विमानों की लागत कम होगी, और भारत की आयात पर निर्भरता घटेगी।
अंतर्राष्ट्रीय पहुँच: HAL की योजना अगले 10 सालों में 200+ SJ-100 बनाने की है, जिन्हें एशिया-अफ्रीका बाजारों (जैसे इंडियन ओशन रीजन में मालदीव या श्रीलंका) में भी निर्यात किया जा सकता है।

HAL और UAC के बीच सहयोग की प्रकृति

यह साझेदारी भारत-रूस(Russia) के लंबे समय से चले आ रहे रक्षा संबंधों को सिविल एविएशन सेक्टर में भी विस्तृत करती है। HAL को SJ-100 बनाने के “राइट्स” मिलेंगे, जिसका अर्थ है कि भारत में विमानों का लोकल प्रोडक्शन शुरू हो सकेगा। PJSC-UAC HAL को SJ-100 के डिजाइन, इंजन, और असेंबली के लिए पूरा तकनीकी सहयोग देगा। HAL मुख्य रूप से मिलिट्री एयरक्राफ्ट बनाने वाली कंपनी है, और यह एमओयू सिविल एविएशन में उसके ‘डाइवर्सिफिकेशन’ का हिस्सा है। रूस(Russia) की UAC के पास SJ-100 की पूरी तकनीक और 200+ से अधिक विमान बनाने का अनुभव है।

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प्रोडक्शन का रोडमैप और वित्तीय अनुमान

इस प्रोजेक्ट को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। शॉर्ट-टर्म में, एमओयू के बाद एक जॉइंट वर्किंग ग्रुप बनाया जाएगा, और 1-2 साल में प्रोटोटाइप टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन का काम पूरा हो सकता है। लॉन्ग-टर्म का लक्ष्य अगले 10 साल में 200+ SJ-100 का उत्पादन करना है। हालाँकि, अभी फाइनेंशियल डिटेल्स सामने नहीं आई हैं, लेकिन अनुमान है कि SJ-100 की प्रोडक्शन कॉस्ट 20-25 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट होगी। HAL के CMD डीके सुनील ने इसे भारत की सिविल एविएशन को नई दिशा देने वाला एमओयू बताया है।

HAL का SJ-100 प्रोजेक्ट 1988 में बंद हुए AVRO HS748 प्रोजेक्ट से किस प्रकार अलग है?

SJ-100 प्रोजेक्ट AVRO HS748 से अलग है क्योंकि:
AVRO एक टर्बोप्रॉप विमान था, जबकि SJ-100 एक आधुनिक जेट विमान है।
उद्देश्य और समय: SJ-100 का उत्पादन UDAN स्कीम और रीजनल कनेक्टिविटी की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने के लिए हो रहा है, जो 1988 में मौजूद नहीं थी। तकनीकी अधिकार: इस नए समझौते में HAL को न केवल उत्पादन बल्कि SJ-100 बनाने के “राइट्स” मिल रहे हैं, जो ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देगा।

SJ-100 विमान छोटे शहरों को हवाई कनेक्टिविटी देने में ‘गेमचेंजर’ क्यों साबित होगा?

निम्नलिखित कारणों से SJ-100 गेमचेंजर साबित होगा:
यह 75-100 यात्रियों की क्षमता वाला एक कम्यूटर प्लेन है, जो छोटे शहरों के लिए कम पैसेंजर ट्रैफिक वाले रूट्स को भी आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाता है।
यह 100-500 किमी की शॉर्ट-हॉल उड़ानों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो छोटे शहरों को नजदीकी बड़े शहरों से जोड़ने के लिए एकदम सही है।
लोकल मैन्युफैक्चरिंग और फ्यूल एफिशिएंट होने के कारण इसकी परिचालन लागत कम होगी, जिससे UDAN स्कीम के तहत सस्ती हवाई यात्रा संभव हो सकेगी।

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