फ्रांस, इटली, पुर्तगाल जैसे देशों में बसने की बढ़ी होड़
- हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) का बढ़ता रुझान यूरोप की ओर।
- बेहतर जीवनशैली, स्थिरता और पासपोर्ट पावर बन रहे हैं प्रमुख कारण।
देश के अमीर लोग तेजी से विदेशों (Foreign Countries) में बस रहे हैं। इसके चलते भारत (India) छोड़कर हर साल हजारों अमीर लोग दुनिया के अलग-अलग देश में जाकर बस रहे हैं। विदेशों Foreign Countries में बसने की दिलचस्पी को देखते हुए इमिग्रेशन कंपनियां भारतीयों के लिए नए-नए ऑफर लेकर आ रही है।
कंपनियां 5 से 10 लाख प्रति माह कमाने वाले लोगों के लिए भी ऑफर ला रही है। अगर आप पांच से 10 लाख रुपये मासिक कमाते हैं, या किसी स्टार्टअप या होटल में कुछ हजार डॉलर का निवेश कर सकते हैं, या सिर्फ एक अपार्टमेंट खरीद सकते हैं, तो एक ग्लोबल इमिग्रेशन कंपनी आपको कई देशों में बसाने का वादा कर सकता है। विदेशों में विकल्प फ्रांस और इटली से लेकर मिस्र और ग्रेनेडा तक हैं।
4000 से अधिक अनुरोध मिले
वैश्विक आव्रजन कंपनी गैरेंट.इन के संस्थापक एंड्रयू बोइको ने कहा कि विकल्प स्पष्ट है। उदाहरण के लिए, आप गुरुग्राम में एक अपार्टमेंट खरीद सकते हैं, लेकिन इससे आपको इटली में रहने की सुविधा नहीं मिलेगी। लेकिन अगर आप इटली में उतनी ही कीमत का अपार्टमेंट खरीदते हैं, तो आप वहां या यूरोप में कहीं भी रह सकते हैं, साथ ही कई अन्य देशों तक आसानी से पहुंच भी पाएंगे।
बोइको ने कहा कि उनकी कंपनी को भारत से केवल तीन महीनों में 4,000 से अधिक ‘अनुरोध’ प्राप्त हुए हैं और भारतीयों के लिए सबसे पसंदीदा देशों में फ्रांस, इटली, मिस्र और ग्रेनेडा शामिल हैं। बोइको ने बताया कि विदेश जाने की चाह रखने वाले भारतीयों में उन्होंने एक अहम बात देखी गई है कि विदेश जाने के मामले में भी भारतीय निवेशक की तरह होते हैं।
निवेश पर रिटर्न भी चाहते हैं भारतीय
उन्होंने कहा कि भारतीय बहुत व्यावहारिक होते हैं। वे बिना किसी फायदे के चंदा नहीं देना चाहते (कुछ देशों द्वारा नागरिकता या निवास के लिए मांगा जाने वाला चंदा) क्योंकि वे अपना पैसा वापस चाहते हैं। वे अपने निवेश पर रिटर्न भी चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यहीं पर वित्तीय स्वतंत्रता और निवेश जैसे कार्यक्रम विदेशों में बसने के इच्छुक भारतीयों को पसंद आ रहे हैं। वित्तीय स्वतंत्रता कार्यक्रम के तहत, किसी व्यक्ति को किसी देश में निवास प्राप्त करने के लिए एक निश्चित सीमा से अधिक स्थिर आय प्रवाह दिखाना होता है, और कुछ वर्षों के बाद, पात्र नियमों और शर्तों के अधीन, यह नागरिकता में परिवर्तित हो जाता है।
इटली से भारत कौन आया था?
मध्यकाल : इटली के यात्री मार्को पोलो ने अपने यात्रा वृत्तांत ‘द ट्रैवल्स ऑफ़ मार्को पोलो’ में 13वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध के भारत में जीवन और रीति-रिवाजों का वर्णन किया है। निकोलो कोंटी विजयनगर साम्राज्य के राजा देवराय के शासनकाल में 1420-21 ई. में भारत आया था।
फ्रांस में कितने भारतीय हैं?
भारतीय विदेश Foreign Countries मंत्रालय के अनुसार, महानगरीय फ़्रांस में अनुमानित 119,000 प्रवासी भारतीय रहते हैं, इसके अलावा ग्वाडेलोप , रीयूनियन , मार्टीनिक और फ़्रेंच गुयाना के फ़्रांसीसी विदेशी विभागों और क्षेत्रों में 367,379 प्रवासी भारतीय रहते हैं।