Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

By Dhanarekha | Updated: August 5, 2025 • 8:06 PM

डीएचएफएल के पूर्व डायरेक्टर की जमानत रद्द

धीरज वाधवान को 2 हफ्ते में सरेंडर करना होगा, ₹42871 करोड़ के फ्रॉड का आरोप

सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने आज यानी 5 अगस्त 2025 को दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) के पूर्व डायरेक्टर और प्रमोटर धीरज वाधवान(Dhiraj vadhvan) की जमानत रद्द कर दी। यह फैसला एक बड़े बैंक ऋण घोटाले के मामले में लिया गया है, जिसमें धीरज वाधवान पर 42,871.42 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप है। कोर्ट(Court) ने उन्हें दो हफ्ते के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है

CBI की अपील पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, धीरज वाधवान की जमानत रद्द

धीरज वाधवान को दिल्ली हाई कोर्ट ने 9 सितंबर 2024 को बीमार होने के कारण जमानत दी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि धीरज एक “बीमार व्यक्ति” की श्रेणी में आते हैं। CBI ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

CBI की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने तर्क दिया कि धीरज को कोई गंभीर बीमारी नहीं है और उन्होंने निजी अस्पतालों से मेडिकल रिपोर्ट्स हासिल करके जमानत हासिल की। सुप्रीम कोर्ट के जज संजय कुमार और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद जमानत रद्द कर दी।

17 बैंकों को दिया धोखा

यह मामला यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर आधारित है। शिकायत में कहा गया है कि DHFL के तत्कालीन चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कपिल वाधवान, निदेशक धीरज वाधवान और अन्य आरोपियों ने मिलकर 17 बैंकों के एक समूह को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश रची।

इस साजिश के तहत, उन्होंने बैंकों से 42,871.42 करोड़ रुपए के बड़े कर्ज मंजूर कराए गए। CBI का दावा है कि इस राशि का बड़ा हिस्सा गलत तरीके से निकालकर इस पैसे का गलत इस्तेमाल किया। DHFL की बहीखातों में हेराफेरी करके यह घोटाला किया गया। इस घोटाले से बैंकों को 34,615 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, जो 31 जुलाई 2020 तक बकाया था।

DHFL घोटाले कैसे हुआ

DHFL एक हाउसिंग फाइनेंस कंपनी थी, जिसके खिलाफ आरोप है कि उसने 2.60 लाख फर्जी होम लोन खाते बनाए, जो प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) से जुड़े थे। CBI के अनुसार, कंपनी ने बैंकों से बड़े पैमाने पर कर्ज लिया और उसका दुरुपयोग किया। इस मामले में धीरज और कपिल वाधवान मुख्य आरोपी हैं।

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) क्या है?
सर्वोच्च न्यायालय भारत का सर्वोच्च न्यायिक निकाय है। यह भारतीय संविधान का संरक्षक है और देश के सभी न्यायिक निर्णयों को अंतिम रूप से मान्यता देता है।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है?
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जो सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के परामर्श से होती है।

सर्वोच्च न्यायालय के पास कौन-कौन से अधिकार हैं?
सर्वोच्च न्यायालय के पास अपीलीय, मूल और सलाहकार क्षेत्राधिकार हैं। यह मौलिक अधिकारों की रक्षा, न्यायिक समीक्षा और कानूनों की संवैधानिक वैधता की समीक्षा भी करता है।

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