Breaking News: Tata Group: टाटा ग्रुप का ऐतिहासिक फैसला

By Dhanarekha | Updated: October 13, 2025 • 2:04 PM

विवादों के बीच एन चंद्रशेखरन का कार्यकाल 2032 तक बढ़ाया गया

मुंबई: टाटा ग्रुप(Tata Group) ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए टाटा सन्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन का कार्यकाल 2032 तक बढ़ा दिया है। यह पहली बार है जब किसी ग्रुप एग्जीक्यूटिव को स्टैंडर्ड रिटायरमेंट उम्र(Standard Retirement Age) (65 साल) से आगे उनके पद पर रहने की अनुमति दी गई है। चंद्रशेखरन, जो वर्तमान में 63 वर्ष के हैं, अपना दूसरा कार्यकाल फरवरी 2027 में पूरा करते ही 65 वर्ष के हो जाएंगे। इस विस्तार के साथ, वह 2032 में 70 साल की उम्र तक चेयरमैन बने रहेंगे। उन्होंने 1987 में टीसीएस में एक इंटर्न के रूप में अपना करियर शुरू किया था और जनवरी 2017 में उन्हें चेयरमैन बनाया गया था। यह विस्तार रतन टाटा के निधन के बाद ग्रुप में चल रहे आंतरिक विवादों के बीच नेतृत्व में स्थिरता सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है

रतन टाटा के निधन के बाद उपजा विवाद और सरकारी हस्तक्षेप

रतन टाटा(Ratan Tata) के निधन के बाद टाटा ट्रस्ट्स के भीतर बोर्ड सीटों और महत्वपूर्ण फैसलों को लेकर विवाद शुरू हो गया। उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनाए जाने के बाद, ट्रस्ट्स में बोर्ड मेंबरों के बीच स्पष्ट मतभेद सामने आया। विवाद का मुख्य कारण 11 सितंबर की मीटिंग में पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को टाटा सन्स बोर्ड पर नॉमिनी डायरेक्टर के तौर पर दोबारा नियुक्त करने के प्रस्ताव को चार ट्रस्टियों (मेहली मिस्त्री, प्रामित झावेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर, और डेरियस खंबाटा) द्वारा बहुमत से खारिज करना था। इस आंतरिक कलह ने मामले को इतना बढ़ा दिया कि 7 अक्टूबर को सीनियर लीडरशिप को गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर 45 मिनट की बैठक करनी पड़ी। सरकार ने ग्रुप को जल्द से जल्द घरेलू झगड़े निपटाने की हिदायत दी थी।

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विवाद का केंद्र और टाटा ग्रुप का महत्व

विवाद का केंद्र टाटा सन्स में डायरेक्टर्स के पद और कंपनी के बड़े फैसलों (जैसे ₹1,000 करोड़ का टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड फंडिंग प्लान) को लेने के तरीके पर था। नाराज ट्रस्टियों का आरोप है कि बोर्ड में बिना पर्याप्त बहस के फैसले लिए जा रहे हैं और उन्हें महत्वपूर्ण ट्रांजेक्शन (जैसे टाटा मोटर्स द्वारा इवेको ग्रुप के नॉन-डिफेंस व्हीकल बिजनेस को खरीदना) की जानकारी भी देरी से दी गई। यह झगड़ा टाटा ग्रुप(Tata Group) की संचालन व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है, क्योंकि टाटा सन्स की 66% इक्विटी शेयर कैपिटल टाटा के चैरिटेबल ट्रस्ट के पास है। टाटा ग्रुप, (Tata Group)जिसकी स्थापना 1868 में हुई थी, भारत की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी है, जिसका कुल राजस्व ₹13.86 लाख करोड़ है, और यह 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देती है, जो इसकी स्थिरता और नेतृत्व की निरंतरता को राष्ट्रीय महत्व का विषय बनाता है।

एन चंद्रशेखरन को चेयरमैन पद पर 2032 तक बनाए रखने का मुख्य कारण क्या है, जबकि रिटायरमेंट की सामान्य आयु 65 वर्ष है?

चंद्रशेखरन के कार्यकाल विस्तार का मुख्य कारण नेतृत्व में स्थिरता सुनिश्चित करना है। यह फैसला रतन टाटा के निधन के बाद ग्रुप के भीतर चल रहे आंतरिक विवादों और शापूरजी पल्लोनजी परिवार से जुड़े ट्रस्टियों के साथ मतभेदों के बीच लिया गया है। ग्रुप की पॉलिसी के अनुसार एग्जीक्यूटिव 65 की उम्र में रिटायर होते हैं, लेकिन नॉन-एग्जीक्यूटिव 70 साल तक रह सकते हैं। उन्हें 2032 तक एक्सटेंशन देकर, ग्रुप ने संकट के समय में अनुभवी नेतृत्व को बरकरार रखा है।

टाटा ग्रुप में मौजूदा विवाद की जड़ क्या है, और इस विवाद में सरकार को क्यों हस्तक्षेप करना पड़ा?

विवाद की जड़ टाटा ट्रस्ट्स के भीतर बोर्ड सीट और महत्वपूर्ण कॉर्पोरेट निर्णयों को लेकर मतभेद हैं। यह झगड़ा तब शुरू हुआ जब कुछ ट्रस्टियों ने टाटा सन्स बोर्ड पर नॉमिनी डायरेक्टर के री-अपॉइंटमेंट को बहुमत से रोक दिया। शापूरजी पल्लोनजी फैमिली से जुड़े ट्रस्टियों ने बड़े फैसलों पर पर्याप्त बहस न होने पर नाराजगी जताई है। सरकार को हस्तक्षेप इसलिए करना पड़ा क्योंकि टाटा ग्रुप(Tata Group) भारत की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी है, और इसके घरेलू झगड़े का असर कंपनी के प्रदर्शन और देश की आर्थिक छवि पर पड़ सकता है, जिसे जल्द निपटाने की सलाह दी गई थी।

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