Breaking News: Tata Trust: टाटा ट्रस्ट में फिर बढ़ा अंदरूनी विवाद

By Dhanarekha | Updated: October 24, 2025 • 10:15 AM

मेहली मिस्त्री की दोबारा नियुक्ति पर मतभेद

नई दिल्ली: टाटा ट्रस्ट(Tata Trust) में एक बार फिर अंदरूनी खींचतान तेज हो गई है। ट्रस्ट ने अपने तीन प्रमुख चैरिटेबल संस्थानों में मेहली मिस्त्री(Mehli Mistry) को आजीवन ट्रस्टी के रूप में दोबारा नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार मिस्त्री ने अपनी दोबारा नियुक्ति से पहले कड़ी शर्तें रखी हैं, जिससे ट्रस्ट के भीतर मतभेद गहराते नजर आ रहे हैं

आजीवन ट्रस्टी बनने का प्रस्ताव

सूत्रों ने बताया कि टाटा ट्रस्ट के सीईओ ने अन्य ट्रस्टी सदस्यों को मेहली मिस्त्री की दोबारा नियुक्ति के प्रस्ताव से अवगत कराया। इस प्रस्ताव में उन्हें सर रतन टाटा ट्रस्ट, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और बाई हीराबाई जमसेतजी टाटा नवसारी चैरिटेबल इंस्टिट्यूशन में फिर से नियुक्त करने की योजना है। मिस्त्री, रतन टाटा(Ratan Tata) के करीबी माने जाते हैं और वर्ष 2022 में पहली बार ट्रस्टी बने थे। उनका तीन वर्ष का कार्यकाल 28 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है।

टाटा ट्रस्ट(Tata Trust) के पास टाटा संस में 66% हिस्सेदारी है, जो 156 साल पुराने टाटा ग्रुप की कंपनियों की प्रमोटर कंपनी है। ट्रस्ट ने इस घटनाक्रम पर आधिकारिक टिप्पणी करने से इनकार किया है। मगर, मिस्त्री की दोबारा नियुक्ति को लेकर ट्रस्ट के भीतर असहमति की स्थिति बन गई है।

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आपसी सहमति पर अड़ी शर्त

सूत्रों के मुताबिक, मिस्त्री और तीन अन्य ट्रस्टी- प्रमित झवेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर और डेरियस खम्बाटा ने यह शर्त रखी थी कि भविष्य में किसी भी ट्रस्टी का कार्यकाल केवल सर्वसम्मति से ही बढ़ाया जाएगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो उनकी स्वीकृतियां अमान्य मानी जाएंगी। इस शर्त ने ट्रस्ट के अंदर दो गुट बना दिए हैं — एक गुट मौजूदा चेयरमैन नोएल टाटा के समर्थन में है, जबकि दूसरा रतन टाटा के पुराने सहयोगियों का है।

यह विवाद अब सरकारी स्तर तक पहुंच चुका है। नोएल टाटा और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर मामले पर चर्चा की। सरकार ने दोनों पक्षों को सलाह दी है कि वे आपसी सहमति से समाधान निकालें और इसे सार्वजनिक विवाद का रूप न दें, क्योंकि टाटा समूह का भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम योगदान है।

मेहली मिस्त्री की नियुक्ति पर विवाद क्यों?

मिस्त्री को आजीवन ट्रस्टी बनाने का प्रस्ताव कुछ सदस्यों को अस्वीकार्य लग रहा है। उनका मानना है कि किसी भी ट्रस्टी की नियुक्ति समय-सीमा के अनुसार होनी चाहिए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

सरकार ने क्या रुख अपनाया है?

सरकार ने दोनों पक्षों से कहा है कि वे इस मामले को संवाद के जरिए सुलझाएं। उसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि टाटा ट्रस्ट की प्रतिष्ठा और स्थिरता पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

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