Donald trump: ट्रंप 2.0 सरकार के पहले 100 दिनों में ऐसा हुआ हाल,डॉलर 7% गिरा

By Surekha Bhosle | Updated: May 6, 2025 • 11:24 AM

डोनाल्ड ट्रंप जब दोबारा अमेरिका की सत्ता में लौटे तो उनसे दुनिया को कई तरह की उम्मीदें थी. उसकी वजह भी थी क्योंकि रूस-यूक्रेन वॉर से लेकर मीडिल ईस्ट में हमास-इजरायल जंग ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने एक बड़ी चुनौती पैदा कर दी थी. डोनाल्ड ट्रंप बड़े-बड़े वादे कर अमेरिकी सत्ता में लौटे. लेकिन ट्रंप सरकार 2.0 के 100 दिनों के कार्यकाल में अमेरिकी डॉलर का जो हाल हुआ है, वो कल्पना से भी परे है।

जी-10 देशों की करेंसी के सामने आज सबसे बुरा हाल अमेरिकी डॉलर का है. इतना ही नहीं सोने के भाव में करीब 22 प्रतिशत का इजाफा हो चुका है. आज की तारीख में इसकी कीमत आसमान छू रही है. एचएसबीसी एसेट मैनेजमेंट रिसर्च नोट में इन सभी बातों का जिक्र किया गया है।

गिरा बाजार, डॉलर का बुरा हाल

डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभाला था. उस समय से अब तक ग्रेट ब्रिटेन पॉण्ड की तुलना में अमेरिकी डॉलर में 7 प्रतिशत से भी ज्यादा की गिरावट आ चुकी है. एचएसबीसी की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अमेरिकी डॉलर में इस तरह की गिरावट के पीछे नई ट्रंप सरकार की पॉलिसी हो सकती है।

ट्रंप 2.0 सरकार के सिर्फ 100 दिनों के कार्यकाल में सोने का भाव 7 प्रतिशत छलांग लगाकर आसमान में पहुंच गया है. सोने की इस उछाल ने निवेशकों के मन में एक नई तरह की अनिश्चितता पैदा कर दी है. रिसर्च नोट में आगे कहा गया है कि नीतियों में अनिश्चितताओं की वजह से बाजार में ये अनिश्चितता देखने को मिल रही है और निवेशकों के मन में शंकाएं पैदा होती हैं।

निवेशकों के मन में शंकाएं

इन सबके बीच जिस तरह से टैरिफ पॉलिसी का एलान किया गया, इसने भी शेयर बाजार से लेकर आमलोगों तक भारी नुकसान पहुंचाया. ट्रंप के टैरिफ ने बाजार की पूरी स्थिति बिगड़ गई. स्टॉक्स से लेकर बॉण्ड और ब्याज दर से लेकर डॉलर के विनिमय दर तक सभी चीजों पर इसका असर देखा गया।

अमेरिकी इक्विटी भी ट्रंप सरकार के 100 दिनों के कार्यकाल में सबसे खराब परफॉर्म किया. वैश्विक बाजार में S&P 500 का सबसे खराब प्रदर्शन रहा. हालांकि, ग्लोबल मार्केट में इस अस्थिरता के बावजूद भारतीय बाजार ने खुद को संभाला. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ब्याज दरों में कटौती का एलान किया. साथ ही, जो निवेशक इस साल की शुरुआत में भारतीय बाजार से किनारा कर रहे थे, उनका भरोसा वापस बाजार में लौटा और जरदस्त तरीके से वापसी करते हुए उन्होंने निवेश किया।

साथ ही, इन 100 दिनों में तेल की कीमतों की बात करें तो उसमें जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है और साल 2021 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गई है।

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