टैरिफ संकट में उभरा भारत
नई दिल्ली: भारत के निर्यात क्षेत्र ने 2025 में नई दिशा पकड़ी है। जहां एक ओर अमेरिका(America) को होने वाला निर्यात जुलाई से थोड़ा घटा, वहीं दूसरी ओर भारतीय कंपनियों ने नए बाजारों में तेजी से विस्तार किया है। एसबीआई(SBI) की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि भारी अमेरिकी टैरिफ के बाद भी भारत ने अपने निर्यात को 2.9% बढ़ाकर 220 अरब डॉलर तक पहुंचा दिया है। इससे साफ है कि ट्रंप(Trump) सरकार के निर्णय भारत के लिए चुनौती नहीं, बल्कि अवसर बन गए और देश को वैश्विक व्यापार में नए पांव जमाने का मौका मिला।
भारत की रणनीति और बदलते व्यापार संकेत
अमेरिका को निर्यात में उतार-चढ़ाव जारी है। यह वार्षिक आधार पर 13% बढ़कर 45 अरब डॉलर तक पहुंच गया, किंतु सितंबर में करीब 12% की गिरावट देखी गई। जुलाई 2025 के बाद से अमेरिका का भारत के कुल निर्यात में हिस्सा घटकर 15% रह गया। समुद्री उत्पाद, कीमती पत्थर, रेडीमेड कॉटन परिधान और कॉटन फैब्रिक जैसे उत्पादों का निर्यात अमेरिका में कम हुआ है, जिससे यह परिवर्तन स्पष्ट दिखाई देता है।
भारत ने इस स्थिति का जवाब अपनी बाज़ार विविधता बढ़ाकर दिया है। यूएई, चीन, वियतनाम, जापान, हांगकांग, बांग्लादेश, श्रीलंका और नाइजीरिय जैसे देशों में निर्यात में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है। इससे भारत की किसी एक देश पर निर्भरता घट रही है और निर्यात ढांचा अधिक स्थिर रूप ले रहा है।
अन्य देशों की नई भूमिका और बढ़ते अवसर
एक दिलचस्प तथ्य यह भी सामने आया कि ऑस्ट्रेलिया और हांगकांग भारत से सामान खरीदकर अमेरिका को बेच रहे हैं। जनवरी–अगस्त 2025 में अमेरिका को मोती और कीमती पत्थरों के निर्यात में ऑस्ट्रेलिया का हिस्सा 2% से बढ़कर 9% हो गया, जबकि हांगकांग का हिस्सा 1% से 2% तक बढ़ा। यह मध्यस्थ व्यापार भारत के लिए अतिरिक्त अवसर पैदा कर रहा है।
हालाँकि, कुछ क्षेत्रों में चुनौतियाँ बढ़ी हैं। उच्च टैरिफ के कारण कपड़ा, गहने और समुद्री भोजन जैसे कम मुनाफे वाले उद्योगों पर दबाव है। विशेष रूप से झींगा निर्यात पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ा है। इसके बावजूद सरकार द्वारा 45,060 करोड़ रुपये के सहायता पैकेज से छोटे और मध्यम उद्योगों को बड़ी राहत मिली है।
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सरकारी सहयोग और भविष्य की दिशा
सरकार ने 20,000 करोड़ रुपये बैंक लोन पर क्रेडिट गारंटी के लिए मंजूर किए हैं, जिससे ‘क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट’ के तहत बिना गारंटी के ऋण उपलब्ध होंगे। यह कदम उद्योगों को वित्तीय मजबूती देता है और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में मदद करता है।
एलपीजी समझौतों और रक्षा सौदों जैसे प्रमुख व्यापारिक निर्णय निकट भविष्य में भारत के निर्यात को और बढ़ावा देंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि नए बाज़ार, सरकारी समर्थन और वैश्विक साझेदारी भारत को निर्यात क्षेत्र में महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में स्थापित कर सकते हैं।
अमेरिका के अलावा भारत किन क्षेत्रों पर ध्यान दे रहा है?
भारत यूएई, चीन, वियतनाम, जापान, हांगकांग, बांग्लादेश, श्रीलंका और नाइजीरिया जैसे देशों में निर्यात बढ़ा रहा है। इन बाज़ारों में विविध प्रकार के सामान भेजे जा रहे हैं, जिससे जोखिम कम होता है और व्यापार का दायरा बढ़ता है।
किन उद्योगों पर उच्च टैरिफ का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है?
कपड़ा, गहने और समुद्री भोजन जैसे कम मुनाफे वाले उद्योगों पर इसका सीधा असर पड़ा है। खासकर झींगा निर्यात में उल्लेखनीय कमी आई है, क्योंकि उच्च टैक्स के चलते कंपनियों की लागत बढ़ गई है।
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