Cabinet Decision झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के 7 जिलों को सरकार ने दिया तोहफा, 2 Railway Projects को मिली मंजूरी परियोजनाओं का संक्षिप्त परिचय
भारतीय कैबिनेट ने हाल ही में दो प्रमुख मल्टी‑ट्रैकिंग रेलवे परियोजनाओं को मंजूरी दी है जिनकी कुल लागत ₹6,405 करोड़ है। यह परियोजनाएं झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के 7 जिलों को कनेक्ट करेंगी, रेलवे नेटवर्क में लगभग 318 किलोमीटर की वृद्धि लाते हुए इलाके की कनेक्टिविटी मजबूत करेंगी ।
मुख्य परियोजनाएं
1. Koderma–Barkakana Doubling (133 km)
- यह रेलवे लाइन झारखंड के कोडरमा, चतरा, हज़ारिबाघ और रामगढ़ जिलों से गुजरेगी।
- पटना से रांची की यात्रा को तेज़ और अधिक कुशल बनाएगी।
- यह कोयला उत्पादन क्षेत्र से गुजरती है और लोकल फ्रेट तथा पैसेंजर ट्रैफिक दोनों को संभालेगी ।

2. Ballari–Chikjajur Doubling (185 km)
- कर्नाटक के बल्लारी और चित्रदुर्ग तथा आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिलों में फैलेगा।
- इसमें कोकिंग कोल, लौहा अयस्क, सीमेंट, तेल उत्पाद इत्यादि का रैखिक उत्थान शामिल है ।
- दोनों परियोजनाओं से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स क्षमता दोनों में सुधार होगा।
लाभ और मुख्य असर
पहलु | लाभ |
---|---|
कनेक्टिविटी | 1,408 ग्रामों की जोड़ और लगभग 28.19 लाख आबादी को लाभ |
आर्थिक विकास | अतिरिक्त फ्रीट क्षमता 49 मिलियन टन प्रति वर्ष, स्थानीय व्यवसाय और कृषि तक पहुँच आसान |
पर्यावरण प्रभाव | 52 करोड़ लीटर तेल की बचत, CO₂ उत्सर्जन 264 करोड़ किलोग्राम कम (लगभग 11 करोड़ पेड़ों के बराबर) |
लॉजिस्टिक लागत | सकल लॉजिस्टिक लागत औसतन 4% कम होगी, उद्योग की competitiveness बढ़ेगी |
रोजगार सृजन | निर्माण के दौरान लगभग 108 लाख मानव-दिवस के रोजगार सृजन की उम्मीद |

सरकार की योजना और दृष्टि
- ये परियोजनाएं PMGati Shakti National Master Plan के अंतर्गत ली गई हैं, जो मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी पर आधारित योजना को सुदृढ़ बनाती हैं ।
- दोनों रेल नेटवर्क तीन साल की अवधि में पूर्ण करने की योजना है ।
- यह पहला कदम नहीं, बल्कि 2024–25 की अवधि में स्वीकृत रेल परियोजनाओं का एक हिस्सा है, जिसमें मिलकर रेलवे पर ₹96,311 करोड़ निवेश किया जा चुका है ।
कैबिनेट द्वारा मंजूर की गई ये दो铁路 परियोजनाएं न केवल यातायात की सुविधा बढ़ाएंगी, बल्कि ग्रामीण इलाकों, कोयला व औद्योगिक क्षेत्रों के रास्ते को और मजबूत करेंगी। साथ ही, न केवल तेल की बचत होगी, अपितु CO₂ उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी के साथ आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ भी सुनिश्चित होंगे।