कनाडा चुनाव: कनाडा में हुए हालिया आम चुनाव में मार्क कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी एक बार फिर सत्ता में लौटने जा रही है। अब तक आए परिणाम से यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी को सबसे अधिक सीटें मिल रही हैं, हालांकि पूर्ण बहुमत पर संशय बना हुआ है। ऐसे में 2019 और 2021 की तरह इस बार भी गठबंधन सरकार बनने की संभावना है।
ट्रंप फैक्टर ने बदला चुनावी समीकरण
इस बार का चुनाव सिर्फ कनाडा की राजनीति तक सीमित नहीं रहा। अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों ने इसे एक तरह से कनाडा की संप्रभुता पर जनमत संग्रह में बदल दिया। ट्रंप के “कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य” बनाने जैसे बयानों ने कनाडाई जनता को परेशान कर दिया। उनकी शुल्क नीति ने कनाडा की अर्थव्यवस्था को भी झटका दिया, जिससे आम मतदाता नाराज हो गए।

पोइलिवरे और कंजरवेटिव पार्टी बैकफुट पर
पियरे पोइलिवरे के नेतृत्व वाली कंजरवेटिव पार्टी आरंभ में दृढ़ स्थिति में दिख रही थी। लेकिन जैसे-जैसे ट्रंप की छाया चुनाव पर गहराई, वैसे-वैसे पार्टी की लोकप्रियता में गिरावट आई। पोइलिवरे की ट्रंप से विचारधारा की समानता ने कई वोटरो को लिबरल पार्टी की ओर मोड़ दिया।
कनाडा चुनाव: आर्थिक अनुभव बना कार्नी की ताकत
मार्क कार्नी, जो पहले बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गर्वनर रह चुके हैं, ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने आर्थिक तजरबा को प्रमुख मुद्दा बनाया। वोटरो को विश्वास दिलाया गया कि वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के वक़्त उनके नेतृत्व में ही कनाडा की अर्थव्यवस्था सुरक्षित रह सकती है। यही बात जनता को प्रभावित करने में कामयाब रही।