CBI ने किया सेना में भ्रष्टाचार का खुलासा, चहेते ठेकेदार को मिले काम,

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सीबीआई ने सेना में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला पकड़ा है। बीकानेर कैंट स्थित यूनिट-365 में सुरक्षा उपकरणों की सप्लाई के लिए टेंडर पाने वाली कंपनी ने अधिकारियों को 3.5% कमीशन दिया।

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चंडीगढ़। सीबीआई ने सेना में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला पकड़ा है। सेना की बीकानेर कैंट स्थित यूनिट-365 में सुरक्षा उपकरणों व अन्य सामान की सप्लाई के लिए जिस कंपनी को टेंडर दिया गया, उससे साढ़े तीन प्रतिशत कमीशन लिया गया है। इसमें से दो प्रतिशत कमीशन साउथ वेस्टर्न कमांड, जयपुर के इंटिग्रेटेड फाइनेंशियल एडवाइजर उमाशंकर कुशवाहा और डेढ़ प्रतिशत प्रिंसिपल कंट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट्स के अधिकारियों को दिया गया।

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करीब दो साल तक सीबीआई ने जांच कर इस मामले में सेना के अधिकारियों, जवानों और चंडीगढ़ की एक कंपनी के मालिक के खिलाफ सीबीआई कोर्ट, चंडीगढ़ में चार्जशीट दाखिल कर दी है। चार्जशीट में सीबीआई की दो साल की जांच, सभी अधिकारियों, जवानों की रिश्वत के खेल में भूमिका और उनकी कॉल रिकॉर्डिंग शामिल की गई है।

24.77 लाख रुपये का मिला था टेंडर

सीबीआई जांच में सामने आया कि चंडीगढ़ की एक कंपनी एमके एजेंसिज के मालिक जेएस बेदी को बीकानेर यूनिट में 24.77 लाख रुपये का टेंडर मिला था, जिसमें से उसने 87 हजार रुपये अधिकारियों को रिश्वत के रूप में दिए थे। सीबीआई ने गुप्त सूचना के आधार पर ये केस दर्ज किया था। सीबीआई के मुताबिक अभी तो ये एक मामला पकड़ में आया है और यूनिट के अन्य कामों की टेंडर प्रक्रिया की भी जांच की जा रही है।

सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, सेना की बीकानेर यूनिट-365 में चंडीगढ़ की एमके एजेंसी को फ्लैप बैरियर और फुल हाई टर्नस्टाइल गेट्स व इनके साफ्टवेयर और हार्डवेयर बनाने का कांट्रैक्ट मिला।

आरोप है कि कंपनी ने विभिन्न बिचौलियों की मदद से आइएफए उमाशंकर प्रसाद कुशवाहा को रिश्वत दी और जेम पोर्टल के नियमों को दरकिनार करते हुए न सिर्फ टेंडर प्रक्रिया की अहम जानकारी लीक करवाई, बल्कि 24.77 लाख रुपये का टेंडर भी ले लिया। सेना के विभिन्न कार्यालयों ने भी बेदी की कंपनी की फाइल पर कोई ऑब्जेक्शन नहीं लगाया।

कौन है आईडीएएस अधिकारी कुशवाहा?







































मामले में सबसे गंभीर आरोप 1998 बैच के इंडियन डिफेंस अकाउंट्स सर्विसेस (आइडीएएस) अधिकारी उमाशंकर प्रसाद कुशवाहा पर हैं। उन पर अवैध तरीके से कांट्रैक्टर की फाइल को मंजूरी देने और उस के बदले दो प्रतिशत कमीशन लेने के आरोप हैं।

उन्होंने 1998 में यूपीएएसी परीक्षा पास कर डिफेंस अकाउंट्स डिपार्टमेंट में ज्वाइन किया था। वर्ष 2004 में उनकी लेह में डिप्टी कंट्रोलर के तौर पर ट्रांसफर हुई। फिर वे इलाहाबाद, बेंगलुरु, सीडीए फंड्स आर्मी मेरठ और एमएचए दिल्ली में डिप्टी सेक्रेटरी रहे। 2015 से वे जयपुर में बतौर इंटिग्रेटेड फाइनेंशियल एडवाइजर (आइएफए) नियुक्त हुए।

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