Chandrababu Naidu :मातृभाषा में पढ़ाई से मिलती है सफलता।

Chandrababu Naidu :मातृभाषा में पढ़ाई से मिलती है सफलता।

‘मातृभाषा में पढ़ाई करने वाले सफल हो रहे हैं’: Chandrababu Naidu का बयान फिर छेड़ गया भाषा विवाद

भाषा को लेकर चल रही बहस के बीच तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के प्रमुख Chandrababu Naidu ने एक अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जो छात्र अपनी मातृभाषा में शिक्षा ग्रहण करते हैं, वे जीवन में अधिक सफल हो रहे हैं और वैश्विक स्तर पर पहचान बना रहे हैं।

उनका यह बयान भाषा को लेकर देश में चल रही बहस को एक नई दिशा देता है।

Chandrababu Naidu :मातृभाषा में पढ़ाई से मिलती है सफलता।
Chandrababu Naidu :मातृभाषा में पढ़ाई से मिलती है सफलता।

मातृभाषा में शिक्षा का महत्व

Chandrababu Naidu ने स्पष्ट किया कि बच्चों को अगर प्रारंभिक शिक्षा उनकी मूल भाषा में दी जाए, तो वे जटिल विषयों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा:

“जिन देशों में मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया गया है, वहां के नागरिकों ने वैश्विक स्तर पर अपनी जगह बनाई है।”

उन्होंने आगे कहा कि भाषा किसी क्षेत्र की सांस्कृतिक और बौद्धिक पहचान होती है, और इसे नज़रअंदाज करना किसी भी समाज के लिए आत्मघाती हो सकता है।

केंद्र की नई शिक्षा नीति से मेल

नायडू का यह बयान केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप है, जिसमें प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में देने की वकालत की गई है। नीति का उद्देश्य है कि शिक्षा को ज्यादा समावेशी और समझने योग्य बनाया जाए, जिससे ग्रामीण और वंचित समुदायों को भी बराबर का मौका मिल सके।

अंग्रेजी बनाम मातृभाषा: पुरानी बहस

भारत में अंग्रेजी को अक्सर सफलता की कुंजी माना जाता रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में यह धारणा चुनौतीपूर्ण हुई है। कई सफल उद्यमियों, वैज्ञानिकों और कलाकारों ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हिंदी, तमिल, तेलुगु, बांग्ला जैसी भाषाओं में पाई है और वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई है।

Chandrababu Naidu का कहना है कि:

“अंग्रेजी एक भाषा है, स्किल नहीं। हमें बच्चों को स्किल के साथ साथ संवेदनशीलता और संस्कृति से भी जोड़ना होगा, और वह मातृभाषा से ही संभव है।”

Chandrababu Naidu :मातृभाषा में पढ़ाई से मिलती है सफलता।
Chandrababu Naidu :मातृभाषा में पढ़ाई से मिलती है सफलता।

राजनीतिक और शैक्षणिक प्रतिक्रिया

नायडू के इस बयान पर कई शिक्षाविदों ने समर्थन जताया है। उनका कहना है कि यदि सरकारें सही संसाधन और प्रशिक्षित शिक्षक उपलब्ध कराएं, तो मातृभाषा में शिक्षा बच्चों के संज्ञानात्मक विकास में मदद कर सकती है।

हालांकि कुछ आलोचकों का मानना है कि वैश्विक प्रतियोगिता में बने रहने के लिए अंग्रेजी का ज्ञान भी जरूरी है, खासकर तकनीकी और प्रबंधन क्षेत्रों में।

नायडू का शिक्षा सुधार पर ज़ोर

Chandrababu Naidu ने यह भी कहा कि अगर टीडीपी सत्ता में आती है तो वे राज्य में मातृभाषा आधारित शिक्षा को और मजबूत करेंगे। साथ ही, अंग्रेजी को वैकल्पिक भाषा के रूप में सिखाया जाएगा ताकि छात्र दोनों भाषाओं में निपुण हो सकें

भाषा का मुद्दा केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक अस्मिता, समानता और अवसरों से भी जुड़ा हुआ है। Chandrababu Naidu का बयान इस बहस में एक समर्थ और तार्किक दृष्टिकोण जोड़ता है कि किस तरह मातृभाषा शिक्षा प्रणाली को और सशक्त बना सकती है।

शायद अब समय आ गया है कि हम भाषा को बाधा नहीं, बल्कि विकास का माध्यम मानें।

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